नई दिल्ली । कोरोना वायरस के खिलाफ जंग चल रही है। कोरोना का संक्रमण फैल रहा है। कई देश इसके साथ जूझने की आदत डाल रहे हैं। लेकिन इस लॉकडाउन ने लोगों को कई तरह की मनोवैज्ञानिक मुसीबतों में भी डाला है जिसमें अकेलापन खास है। एक अध्ययन में पाया गया है कि अकेलेपन का (स्मोकिंग) से संबंध है। एक अध्ययन में इस बात के प्रमाण पाए हैं कि लंबे समय तक अकेला रहने और धूम्रपान का गहरा संबंध है। अध्ययन में पाया गया कि अकेलेपन से धूम्रपान के बढ़ने की संभावना होती है।अकेलेपन और धूम्रपान के बीच के संबंध की वजहों में सिगरेट का सूकून का स्रोत माना जाना या बैचेनी को खत्म करने वाला माना शामिल है। इसके अलावा धूम्रपान से लोगों का अकेलापन भी बढ़ता है। क्योंकि इससे निकोटिन दिमाग में डोपामाइन हारमोन के काम में दखल देता है।
अध्ययन में बताया गया कि अकेले रहने में धूम्रपान के शुरुआत होने की ज्यादा संभावना होती है। साथ ही एक दिन में ज्यादा सिगरेट पीना भी बढ़ जाता है जबकि वहीं धूम्रपान छूटने की सफलता की संभावना भी कम हो जाती है।शोधकर्ता ने बयान में कहा, यदि अकेले लोगों के धूम्रपान शुरू करने की संभावना ज्यादा होती है और उनके लिए इस छोड़ना मुश्किल होता है,तब उन्हें धूम्रपान के ज्यादा नुकसान झेलने पड़ते हैं। धूम्रपान की वजह से लोग समय से जल्दी मर रहे हैं जिसे रोका जा सकता है और इनकी संख्या उन लोगों से 30 गुना ज्यादा है जो कैंसर हृदय और श्वास की बीमारियों से मर रहे हैं। शोध इस बात को रेखांकित करता है कि अकेलापन से पीड़ित घूम्रपान करने वालों को सहायता की जरूरत है जिससे वे न केवल अपना स्वास्थ्य सुधार सकें बल्कि अपना अकेलापन भी दूर कर सकें। शोधकर्ताओं का मानना है कि अध्ययन का फायदा उन लोगों को होगा जो लोगों की धूम्रपान की आदत छुड़ाने में लगे हुए हैं। कोरोना में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के कारण लोगों में अकेलापन तेजी से बढ़ा है। यह अध्ययन यह भी दर्शाता है कि लोगों का अकेलापन दूर कर एक दूसरे से बात करते रहना कितना जरूरी हो गया है।
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धूम्रपान से गहरा नाता है अकेलेपन का, लॉकडाउन में बढ़ सकती है समस्या- शोध