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सूर्यग्रहण पर बरते सावधानी, करते रहे पूजा पाठ! 

सूर्यग्रहण पर बरते सावधानी, करते रहे पूजा पाठ! 

यूं तो सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है।लेकिन इसका प्रभाव प्रकृति और मनुष्य के साथ ही पशु-पक्षियों पर भी पड़ता है।21 जून को सूर्य ग्रहण  लगने जा रहा है,इससे पूर्व इसी माह चन्द्र ग्रहण भी हो चुका है।कहते है महाभारत काल में एक माह में दो ग्रहण हुए थे।जो अब दोहराया जाएगा।खगोलीय घटना क्रम में जब पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है तो चंद्रमा सूर्य को कुछ देर के लिए पूरी तरह ढक लेता है। जबकि आंशिक और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ही चंद्रमा द्वारा ढका जाता है। 21 जून को होने वाला  सूर्य ग्रहण कुंडलाकार होगा ।  
कुंडलाकार सूर्यग्रहण ‘रिंग ऑफ़ फायर’ बनाता है, जो पूर्ण ग्रहण सूर्यग्रहण से अलग होता है।इस बार का  सूर्य ग्रहण भारत, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो, इथियोपिया, पाकिस्तान और चीन सहित अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।सूर्य ग्रहण  21 जून की सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर आरंभ होकर दोपहर 3 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।किसी भी ग्रहण को लेकर देश में अलग-अलग मान्यताएं हैं। ग्रहण के दौरान लोग पर घर पर रहना पसंद करते हैं और ग्रहण के समय कुछ भी खाने से बचते हैं। इसके अलावा, दरभा घास या तुलसी के पत्तों को खाने और पानी में डाल दिया जाता है, ताकि ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।कई लोग ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करने में विश्वास करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं।इसी तरह सूर्य देव की उपासना वाले मंत्रों का उच्चारण भी ग्रहण के दौरान किया जाता है।गर्भवती महिलाओं को घर में रहने और संतान गोपाल मंत्र  का जाप करके अपने गर्भ को सुरक्षित रखने की भी धार्मिक मान्यता है।ग्रहण के दौरान लोग पानी तक पीने से बचते हैं साथ ही, ग्रहण खत्म होने तक भोजन नहीं पकाया जाता। अधिकांश लोग इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करते, क्योंकि ग्रहण को अशुभ माना जाता है। सूर्य ग्रहण को अगर आप देखना चाहते हैं, तो इसे नग्न आंखों से देखने का प्रयास न करें। कई बार लोग इस सलाह को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह आंखों के लिए बेहद आवश्यक है।नग्न आंखों से सूर्यग्रहण देखने पर आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। दूरबीन, टेलीस्कोप, ऑप्टिकल कैमरा व्यूफाइंडर से सूर्यग्रहण को देखना सुरक्षित विधियां है।
दुनिया के लिए 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण बेहद संवेदनशील है। मिथुन राशि में होने जा रहे, इस ग्रहण के समय मंगल मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे। जो अशुभ संकेत है। इसी के साथ ग्रहण के समय शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्री स्थिति में रहेंगे। राहु और केतु तो सदैव उल्टी चाल ही चलते हैं तो इस लिहाज से कुल छह ग्रह वक्री रहेंगे। यह स्थिति पूरे दुनिया में उथल पुथल मचाएगी।
 ग्रहों में सूर्य और चंद्रमा जो कि नैसर्गिक माता-पिता बन, आत्मा, शक्ति, शासन, सत्ता पक्ष, प्रेम आदि के द्योतक हैं। उनका संक्रमित होना पूरे जनमानस के लिए खराब संकेत है। किसी भी तरह का ग्रहण किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। चंद्रमा मन मस्तिष्क व आय के भाव को प्रभावित करता है। संबंधित व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह जिस भाव का मालिक होगा, उसे प्रभावित करता है। वहीं सूर्य पिता-पुत्र, राज्य सत्ता पक्ष, शारीरिक फल को प्रभावित करेगा। 28 जून तक ग्रहों की स्थिति  ठीक नहीं है।
 सन 2020 के अंत में एक और सूर्य ग्रहण होगा। इस बार का सूर्य ग्रहण भारत में भी देखा जा सकेगा। लेकिन इसे नंगी आंखों से देखने का प्रयास कतई न करें।अन्यथा आंखों को भारी क्षति हो सकती है।ज्योतिष विद्वान पंडित रमेश सेमवाल के शब्दों में,' ग्रहण काल में जप दान एवं हवन करने से पूण्य फल प्राप्त होता है। सूर्य ग्रहण का महत्व कुरुक्षेत्र में सर्वाधिक बताया गया है। वासुदेव  ने भी सूर्य ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में जाकर स्नान यज्ञ एवं दान आदि किया था ।सूर्य ग्रहण के समय में मंत्र दीक्षा का विशेष महत्व है। इस में मास नक्षत्र आदि कुछ भी नहीं देखना पड़ता, जो लोग मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं। उनके लिए भी ग्रहणकाल सर्वोत्तम है। ग्रहण काल में शयन करना, मल मूत्र का त्याग करना, भोजन आदि करना वर्जित है।हालांकि बालक, वृद्ध एवं रोगियों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है। ग्रहण स्पर्श के समय स्नान करना चाहिए एवं मोक्ष के वक्त दान आदि देकर पुण्य स्नान करना चाहिए ।इस वक्त का स्नान वस्त्र पहने होता है। ग्रहण काल में सभी वर्गों को सूतक लगता है। दूध ,दही ,भोजन, जल आदि मे कुशा डाब डालने से वह दूषित नहीं होते। गंगाजल अपवित्र नहीं होता ।सूर्य ग्रहण रविवार को हो और चंद्र ग्रहण सोमवार को हो तो यह चूड़ामणि कहलाता है ।यह अधिक फलदायक माना गया है चंद्र ग्रहण में स्पर्श से 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पूर्व सूतक होता है ।गर्भवती स्त्री चौथे महीने के बाद चंद्र ग्रहण को  भी ना देखे। सूर्य  ग्रहण तो वर्जित है ही। ग्रहण काल में मूर्ति का स्पर्श  नहीं कर सकते ,मंदिर के फाटक बंद हो जाते हैं। ग्रहण काल में दान ब्राह्मण को ना दें ।चंद्र ग्रहण में गोदावरी तथा सूर्य ग्रहण में नर्मदा व गंगा नदी के जल का विशेष महत्व है ।गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है । राहु, केतु, सूर्य व चंद्रमा की पूजा करें। कालसर्प योग अंगारक योग का पूजन करवाएं। तुला दान करवाए। गरीबों को दान दे। इससे ग्रहण के दोष दूर होंगे और पुण्य प्राप्ति होगी।
दो चंद्र ग्रहण  के बाद जब पूर्ण ग्रहण होता है तो चंद्रमा सूर्य को कुछ देर के लिए पूरी तरह ढक लेता है। हालांकि, आंशिक और कुंडलाकार  ग्रहण में सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ही ढकता है। 
(लेखक-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)

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