चीन से आज पूरा विश्व परेशान है, उसके द्वारा पैदा किए गए कोरोना वायरस ने जहां पूरे विश्व में हाहाकार मचाकर करीब एक करोड़ लोगों का जीवन निगल लिया है, वहीं इस वायरस ने विश्व के अधिकांश देशों में स्थाई मुकाम बना लिया है, अब वही चीन हमारे भारत के लिए फिर एक बार ‘सिरदर्द’ बनकर उभर रहा है, आज जब हमारे देश चीन द्वारा प्रदत्त कोरोना वायरस से जूझ रहा है, ऐसे संकट के समय उसने और उसके हमदर्द नेपाल व पाकिस्तान ने हमारी सीमाओं पर उत्पात मचा रखा है, चीन ने योजनाबद्ध तरीके से समझौता वार्ता के दौर में हमारी सेना पर गलकन घाटी में डण्डें और पत्थरों से हमला कर बीस सैनिकों की निर्मम हत्या कर दी, सैनिकों का यह दल समझौते के अमल का निरीक्षण करने गया था, उसी समय योजनाबद्ध तरीके से सैनिकों के दल पर हमला किया गया। जिसमें कर्नल सहित बीस सैनिक मारे गए यद्यपि भारत ने भी हमले का माकूल जवाब देकर चीनी सेना के कर्नल सहित पैंतालीस सैनिक मार दिए, किंतु यह धोखाधड़ी चीन के खून में समाहित है और वहीं उसने अपना 1962 का कृत्य दोहराया, इस तरह चीनी सेना ने अपने राष्ट्रपति का जन्मदिन मनाया। अब चीन गलवान घाटी को अपने कब्जें में बता रहा है।
यद्यपि सैन्यबल और आधुनिकतम युद्ध हथियारों के मामले में चीन हमसे आगे है, उसका रक्षा बजट ही देश के कुल बजट का पचहत्तर प्रतिशत है, किंतु उसमें आत्मबल की कमी के साथ सैन्य बिखराव व्याप्त है, उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपनी सैना स्थानांतरित करने में काफी समय लगता है, जबकि हमारी स्थिति ऐसी कतई नहीं है, हमारा सैन्यबल कुछ ही घण्टो में निर्धारित स्थान पर पहुंच जाता है, आज हमें हमारे देश की पाकिस्तान, नेपाल व चीन तीनों देशों से सटी सीमाओं पर सैन्यबल तैनात करना पड़ा है, जिनकी संख्या करीब ढाई लाख है, करीब इतना ही सैन्य बल इन तीनों पड़ौसी देशों ने भी तैनात कर रखा है, इस आमने-सामने की तैनाती को देखकर विश्व के कई देश विश्वयुद्ध की आशंका व्यक्त करने लगे है, किंतु चूंकि हमारे मुकाबले चीन अपने आपकों अलग-थलग व असहाय मान रहा है, इसलिए उसकी आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हो रही है।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि चीन की सैन्य बल से भी बड़ी शक्ति उसका विश्वभर में व्याप्त व्यापार है जो उसकी आय का एकमात्र साधन है और यही उसकी कमजोरी भी है और अब उसके कोरोना वायरस पैदा करने जैसे कारनामें से विश्व के एक-दो देशों को छोड़ सभी देश चीन से भयंकर नाराज हो गए है और अब भारत सहित सभी देश चीन का वाणिज्यिक बहिष्कार करने जा रहे है, भारत के प्रधानमंत्री ने तो पहले ही ‘आत्मनिर्भरता’ का नारा बुलंद कर दिया है, यदि अन्य देशों की छोड़ों सिर्फ भारत ही आज चीनी उत्पाद के पूर्ण बहिष्कार का फैैसला ले ले और उस पर पूरा देश ईमानदारी से पालन शुरू कर दे तो अगले कुछ ही दिनों में चीन की हैंकड़ी खत्म हो जाएगी और वह हमारे सामने घुटनों के बल बैठा नजर आएगा। आज हमारे देश ने चीन के घर-घर में घुसपैठ हो गई है। आज हमारे देश में दो लाख करोड़ कीमत के तो सिर्फ ‘स्मार्टफोन’ ही विद्यमान है, जिन्होंने हमारे मोबाईल के 73 फीसदी बाजार पर कब्जा कर रखा है, यही नही एन्टीबायोटिक्स और दवा बनाने की सत्तर फीसदी कच्चा माल आज चीन से आ रहा है, चीन की पांच बड़ी कम्पनियों श्योओमी, वीवो, टिकटाॅक, यूवी वाॅऊचर और पब्जी ने तो हमारे घर परिवारों में अंदर तक कब्जा कर रखा है। इनका कारोबार कई अरब डाॅलर का है, अब यदि हम एक विधिवत संकल्प लेकर हमारे घरों से इन कम्पनियों को बाहर कर दें और हमारे त्यौहारों पर हम चीनी उत्पाद का पूरी तरह बहिष्कार कर दे तो चीन भिखारी बना नजर आएगा।
इन्ही सब स्थितियों को देखतें हुए, हमारे प्रधानमंत्री जी ने ‘आत्मनिर्भरता’ का मंत्र प्रसारित किया है, अब न सिर्फ चीनी उत्पाद वाली वस्तुएँ हमारे देश में तैयार होने लगेगी बल्कि अभी तक चीन में इन्हें तैयार करने वाली बड़ी-बड़ी एक हजार कम्पनियां भी भारत में आकर डेरा डालेगी। क्योंकि भारत ने यह समझ लिया है कि चीन रूपी राक्षस किसी अस्त्र-शस्त्र से मरने वाला नही है, उसे तो ‘आत्मनिर्भरता’ का ‘सुदर्शन-चक्र’ ही मार सकता है और प्रधानमंत्री जी ने वही तैयारी शुरू कर दी है, आज चीन चाहे 1962 की अपनी विजय केे सपने देखें, किंतु भारत अब 1962 का भारत नहीं रहा है।
(लेखक- ओमप्रकाश मेहता )
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भावत- चीन महाभारत ‘आत्मनिर्भरता’ के ‘सुदर्शनचक्र’ से मरेगा चीनी राक्षस