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हिमाचल में बढ़ते अग्निकांडों से सुलगते प्रश्न ? 

हिमाचल में बढ़ते अग्निकांडों से सुलगते प्रश्न ? 

हिमाचल में अग्निकांड थमने का नाम नहीं ले रहे है।मासूम जल कर मर रहे है बुजुर्ग भी मारे जा रहे है। बुधवार 17 जून 2020 को आगजनी की लपटों में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत से कई प्रशन सुलग रहे है। मंड़ी के सरकाघाट के समाहल गांव में मकान में आग लगने से तीन जांने जलकर राख हो गई। आगजनी में मां व उसका नौ माह का बच्चा व चार साल की बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई।महिला बच्चों के साथ सोई थी। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है।यह घटना बुधवार दोपहर को घटित हुई।इस दर्दनाक हादसे से हर हिमाचली गमगीन है।पल भर में जिंदा लोग जलकर राख हो गए ।गत वर्श कुल्लू के बंजार में सक अग्निकांड में पिता पुत्र की जलकर दर्दनाक मौत हो गई थी ।साल 2020 में अगिनकांडों में बेतहाशा वृद्वि हुई है इन हादसों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार को कदम उठाने हागें ।गत वर्श भी बंजार उपमंडल की खाबल पंचायत में आग लगने से छह कमरों का मकान जलकर राख हो गया था।लोगों को खुले आसमान के तले रात गुजारनी पड़ी थी। 9 जनवरी 2019 को चंबा और शिमला में दो आगजनी की घटनाओं में दो मासूम बच्चे तथा एक मजदूर जल गया था ।चंबा में मासूम बच्चे जिन्दा जल गए थे यह बच्चे स्टोर रुम में खेल रहे थे। शिमला में संजोली में ढाबे में आग लगने से नेपाली मजदूर जिंदा जल गया था ।दोनो घटनाओं से हर हिमाचली गमगीन है।जनवरी 2020 से ही आग का तांडव शुरु हो गया है।5 महिनों में काफी आशियाने राख हो चुके है। आग को बुझानें की कोशिशों में लोग झुलस रहे है,मासूम जिन्दा जल रहे है।इन अग्निकांडों से कई प्रशन सुलग रहे है।14 अप्रैल से लेकर 20 अप्रैल 2020 तक अग्निशमन सेवा सप्ताह मनाया गया इस सप्ताह के दौरान लोगों को अग्नि से बचाव के बारे में अवगत करवाया जा गया मगर ऐसे सप्ताह केवल मात्र औपचारिकता भर रह गए हैं पूरे सप्ताह करोड़ों रूपया खर्च किया जाता है मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात ही निकलता हैं।प्रतिवर्श सैमीनार करवाए जाते है प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई जाती है मगर न तो प्रशासन सबक सीखता है और न ही आम जनमानस सीखता है। अग्निशमन सेवा सप्ताह के शुरुआत के दिनो से ही  सैंकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं और बदस्तूर जारी है। प्रतिदिन कहीं न कहीं आगजनी की वारदातें हो रहीं है।2018 में मंडी जिला के बल्ह विधानसभा के नेरचौक बाजार में एक भीशण अग्निकांड में पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी ।आग लगने का कारण शार्ट सर्किट था। बारात पहुचनें के चंद घंटों में आशियाना राख के ढेर में बदल गया था ।और पल भर में लोग जिन्दा जल गए थे। यहां बेटे शादी की खुशियां पल भर भी में राख हो गई और मातम छा गया था।हादसे का मंजर बहुत ही दर्दनाक था।मृतकों में एक सात साल का बच्चा भी था। आंकड़ों के अनुसार 24 मई 2018 को औद्यौगिक क्शेत्र बददी के काठा में हुए अग्निकांड में एक 9 साल के मासूम की दर्दनाक की मौत हो गई थी मासूम जिन्दा जल गया था।और 45 झुग्गियां भी जल कर राख हो गई थी ।झुग्गियों में रखे सिलेंडर भी फट गए थे। । पिछले कई सालों से लोगों के आशियाने राख हो रहे है और लोग बेघर होते जा रहे हैं कई अग्निकांड़े में बच्चों से लेकर बुजुर्ग भी जल रहे हैं।22 मई 2018 को जजैहली के रेशनगांव में एक अग्कांड में आग बुझाते हुए दो लोग बुरी तरह झुलस गए थे ।इस आगजनी में लाखों का सामान जलकर राख हो गया था ।  प्रदेश में हो रहे इन आग की घटनाओं को रोकना होगा।आग की घटनाएं दिल-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। नालागढ़ के बद्दी में ही मकान में आगजनी के कारण एक बच्चा जलकर राख हो गया था। गत वर्श कुल्लू की सैंज घाटी के कोटला गांव में आग लगने से लगभग 100 मकान जलकर राख हो गए थे। तथा चार मासूम बच्चे भी लापता हो गए थे बाद में सुरक्शित मिल गए थे।सरकार ने भी काफी मदद कर दी है और स्वयंसेवी संस्थाएं भी काफी मदद कर रही है मगर इस दर्दनाक हादसे के जख्म ताउम्र नहीं भर सकते क्योकि इस भीशण अग्निकांड़ में पूरा गांव जलकर राख हो गया था।इस भीशण अग्निकांड़ में चार मंदिर भी जलकर राख हो गए थे।गत वर्श दीवाली की रात को भी प्रदेश में 43 स्थानों पर आगजनी की वारदातें हुई थी। इसमें हजारों बेजुवान मवेशी जिन्दा जलकर राख हो गए थे। गनीमत रही की इसमें किसी जनमानस की जान नहीं गई। प्रदेश में भीशण अग्निकांडों में आज तक अरबों के हिसाब से संम्पतियां राख के ढेरों में बदल चुकी हैं, अग्निकांडों में हजारों लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। अग्निकांड़ों से कई परिवार तबाह हो चुके है। इन अग्निकांडों से कई प्रशन सुलगते जा रहे हैं कि इनके मुख्य कारण क्या हैं।अधिकांश कांडों में बिजली का शार्ट सर्किट ही सामने आता है मगर कुछ मामलों में लोगों की लापरवाही के कारण भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं।गत दस वर्शों में भीशण से भीशणतम अग्निकांड हो चुके हैं। 6 जनवरी 2008 को ऐतिहासिक मलाणा गांव में 150 घर राख हो गए थे। 24 दिसंबर 2011 को रोहड़ू में भी एक गांव जला था जिसमें80 मकान राख हो गए तथा 200 मवेशी मारे गए थे।27 जनवरी 2014 को शिमला में 110 साल पुरानी ब्रिटिश हकुमत की सबसे भव्य हैरीटेज बिल्डिंग गॉर्टन कैसल आग की भेंट चढ़ गई इस ईमारत में एजी का कार्यालय था इस अग्निकांड में  राज्य के 70 हजार पैशनधारकों का रिकार्ड जलकर राख हो गया था गॉटन कैसल के कुल 266 कमरों मे से अधिकतर कमरे क्शतिग्रस्त हो गए थे।अग्निकांडों में कई ऐतिहासिक धरोहरें राख हो चुकी हैं। 2002 से लेकर 25 मई 2018 तक हजारों अग्निकांड़ हो चुके है और इसमें अरबों की संम्पतियां राख हो चुकी है। जंगली जानवर व पशु भी मारे गए।घटनाओं में कमी नहे आई है बल्कि इनमें बेतहाशा वृद्वि हो रही हैं । प्रदेश में कई आलिशान मकान व ईमारतें जलकर भस्म हो चुकी हैं। ।सरकारी भवनों से लेकर आम आदमी के घर राख होते जा रहे औद्यौगिक क्शेत्र बद्दी में एक दवा फैक्टरी में आग लगने से चार करोड़ का नुक्सान हुआ था।फायर बिग्रेड कर्मियों ने आठ घटों की मशक्कत के बाद आग की लपटों पर काबू पाया था।गनीमत रही कि कोई जानी नुक्सान नहीं हुआ। हर साल अरबों की संम्पति आगजनी की भेट चढ़ रही है मगर सरकार इसके बचाव में कारगर कदम नहीं उठा रही है केवल माल एक तिरपाल व थोड़ी सी राहत राशि देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर अपना फर्ज निभा रही है लेकिन जिसका आशियाना जलता है उसके जख्म ताउम्र रिसते रहतें हैं।केवल मात्र मकान ही नहीं जलता उसमें हजारों स्मृतियां जलती हैं। प्रदेश में गौशालों में हुए अग्निकांडों में हजारों मवेशी व बैल ,गायें, व घोड़े जल कर मारे जा चुके है। हांलाकि दमकल कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर कुछ सम्पति को बचा लेतें हैं मगर कई दमकल कर्मी भी जान से हाथ धो चुके हैं।कुछ साल पहले गोहर उपमंडल में आग के कारण पूरा क्योली गांव जल गया था आग एक घर से दूसरे घर में फैलती गई और देखते ही पूरा गांव राख के ढेर में तब्दील हो गया। इस गांव के अधिकांश घर लकडी के बने थे तभी इतना बडा  नुक्सान हुआ। 16 नवबर 2013 को शिमला के जाखू के समीप रिच मांउट में एक स्टोर में आग लगने से एक व्यक्ति की जलकर मौत हो गई थी। 26 नवबर 2013 का किन्नौर के निचार में आग लगने से दस घर आग की चपेट में जलकर राख हो गए इनमें सात परिवार रहते थे आगजनी में 51 कमरे आग की भेंट चढ़ गए थे। लागों की मशक्कत की वजह से 20 घर जलने से बच गए। इस आगजनी में आग की चपेट में आने से एक व्यक्ति का हाथ जल गया और दूसरे का सिर फट गया और गंम्भीर चोटें आई थी। कुछ पशु भी जलकर मारे गये।इस आगजनी में लाखों का नुक्सान हुआ था। लोगों ने आग बूझाने के लाख प्रयास किये मगर दस घर सामने ही धू-धू करके जलकर खाक हो गए। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट ही निकलता है समझ नहीं आता कि हर बार शार्ट सर्किट के कारण ही आग लगती है, प्रदेश में हर जिले में आगजनी की वारदाते हो रही हैं ज्यादरतर मामले गांव में घटित हो रहे हैं। लोगो को भी चाहिए कि घरों में गल-सड़ चुकी बिजली की तारों को बदलवा देना चाहिए ताकि कोई अप्रिय हादसा न हो सके। पूरी तरह सर्तकता बरतनी चाहिए तथा विभाग को सूचित करना चाहिए। ज्वलनशील पदाथों को घर से दूर रखना चाहिए,और पशुओं का चारा व घास बगैरा भी गौशालाओं से काफी दूर रखना चाहिए क्योकि ऐसी सूखी चीजें जल्दी आग पकडती है, अक्सर देखा गया है कि सरकारी व निजी भवनों में  आग बूझाने के यन्त्र ही नहीं होते हैं।स्कूलों व कालेजों में भी ऐसी व्यवस्था कम ही है जबकि स्कूलों में कई भयानक अग्निकांड़ हो चुके हैं। प्रशासन का चाहिए कि प्रत्येक सरकारी व प्राईवेट दफतरों में अग्निशमन यन्त्र उपलव्ध करवाए जाए ताकि तबाही कम हो सके, बिजली विभाग को समय-समय पर बिजली के खम्भों व तारों का निरिक्शण करते रहना चाहिए। सरकार ने जिला मुख्यालयों में तो अग्निशमन केन्द्र स्थापित किये है लेकिन जब तक यह गांव में पहुचते हैं तब तक मकान जलकर राख हो जाते है। सरकार द्वारा दिया जाने वाली राहत राशि में वृद्वि करनी चाहिए ताकि गरीब लोग फिर से अपने मकान बना सके मगर यह राशि उंट के मुह में जीरे के समान होती है जिससे आगजनी की भरपाई नहीं हो सकती। प्रदेश के लोगों को भी सावधानी बरतनी होगी तभी ऐसे अग्निकांड़ रुक सकते हैं।अन्यथा आशियाने जलकर राख होते रहेगें।सरकार को प्रत्येक बड़े- बड़े शहरों से लेकर गांव तक छोटे-छोटे केन्द्र खोलने चाहिए ताकि आगजनी की घटनाओं पर काबू पाया जा सके। सरकार को चाहिए कि प्रत्येक गांव में आपदा कमेटियां गठित की जाए तथा उन्हे अग्निशमन का प्रशिक्शण दिया जाए ताकि भविश्य में होने वाली घटनाओं पर काबू पाया पा सके। 
(लेखक-नरेन्द्र भारती )

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