1962 में चीन ने भारत पर हमला किया था इस हमले का मुख्य कारण भारत द्वारा तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को 1959 में भारत में शरण दी थी इसके बाद से चीन और भारत के बीच में लगातार तनाव बढ़ता रहा
चीन की सरकार तिब्बत में कब्जा करने के लिए दलाई लामा को कमजोर करना चाहती थी। तिब्बत को हथियाने के लिए चीन की सरकार ने 60 बौद्ध लामाओं को विशेष प्रशिक्षण देकर दलाई लामा के सामने खड़ा किया था धार्मिक गुरु चुनने की प्रक्रिया में चीन लगातार अपना दबाव बना रहा था चीन के लगातार सैन्य बल का प्रयोग करने से दलाई लामा को 1959 में तिब्बत छोड़कर भागना पड़ा । दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली।
तिब्बत जम्मू कश्मीर का अंग
1842 में ब्रिटेन ने तिब्बत को जम्मू कश्मीर का हिस्सा घोषित किया था उस समय तिब्बत जाने के लिए चीन के लोगों को हिंदुस्तान से होकर जाना पड़ता था । स्वतंत्रता के पश्चात जम्मू कश्मीर का विलय भारत में हो जाने के कारण तिब्बत भी भारत का अंग बन गया था । लेकिन चीन और भारत के बीच में मैक मोहन रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा मान्य करने को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के नेता माओ त्से तुंग और चाउएनलाई के बीच हमेशा तिब्बत को लेकर विवाद बना रहा। 1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया तब जापान इंडोनेशिया और श्रीलंका ने भी चीन का विरोध किया था। उस समय भारत विभाजन के बाद को परेशानियों से गुजर रहा था। जिसके कारण उसने चीन का विरोध नहीं किया। तिब्बत में दलाई लामा की मदद भी नहीं की।
चीन में अकाल से 4 करोड़ लोगों की मौत
1962 में चीन सरकार की गलत नीतियों और अकाल के कारण चीनी शासकों के खिलाफ चीन में विद्रोह की स्थिति बन गई थी। अकाल और भुखमरी के कारण लगभग 4 करोड़ लोगों की मौत चीन में हुई थी । चीनी शासकों ने इस स्थिति में भारत के ऊपर हमला करके आंतरिक विद्रोह को काबू में करने का काम किया। चीन के शासकों ने अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए भारत के खिलाफ तिब्बत और दलाई लामा को शरण देने को वजह बनाते हुए भारत पर हमला किया था । सबसे खास बात यह थी भारत और चीन के बीच उस समय तक संबंधों में युद्द जैसा तनाव नहीं था। चीन में करोड़ों लोगों की मौत भुखमरी के कारण हो जाने से चीन ने अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए भारत में हमला किया था। कोरोना वायरस संक्रमण एवं आर्थिक मंदी के बाद चीन में आंतरिक विद्रोह पनप रहा है। विद्रोह से स्थान बढाने के लिए चीन ने एक बार फिर भारत को अपना निशाना बनाया है। 1962 की स्थिति और 2020 की स्थिति में भारत आर्थिक - सामरिक दृष्टि से काफी मजबूत है। विश्व व्यापी स्थितियां भी बहुत नाजुक दौर से गुजर रही है। चीन का यह दुसाहस उसे इस बार भारी पड़ेगा।
(लेखक-सनत जैन)
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(विचार मंथन) दलाई लामा को राजनीतिक शरण देने से नाराज चीन ने 1962 में किया था भारत पर हमला