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कोरोना ने विवाहों की आलीशान रश्मे सीमित की

कोरोना ने विवाहों की आलीशान रश्मे सीमित की

 
कोरोना वैश्विक महामारी के प्रकोप से सारी दुनिया जूझ रही है। भारत में इस बीमारी से लड़ने सबसे पहले 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर देश व्यापी जनता कर्फ्यू लगाया गया।
दिनांक 24 मार्च से देश व्यापी लाँकडाउन लगाया।
इस बीमारी से बचने दुनिया में आज तक कोई दवा नहीं बनी है। देश में कोरोना वायरस समुदाय को अपना शिकार न बनाये, इसके लिये मास्क लगाना,
सामाजिक दूरी रखना और बार बार हाथ धोने की
अपील की जा रही है। भारत की जनसंख्या एक अरब तीस करोड़ है। लाँकडाउन एवं सरकार के प्रयासों से अभी तक मात्र लगभग 4 लाख लोग कोरोना संक्रमित हुए है, जिनमें आधे से अधिक ठीक हो गये हैं। आज भी देश में कोरोना की भयावह स्थिति से सब अपने आपको सुरक्षित रखने चिन्तित हैं।
हम आज चर्चा कर रहे है विवाह समारोह के नाम पर होने बाले वैभव प्रदर्शन एवं पैसे की बर्बादी की। जब से देश में कोरोना की रोक थाम के लिये लाँकडाउन लगा। विवाह समारोह शासकीय प्रतिबंधों के साथ सम्पन्न कराने के आदेश जारी हुए, आलीशान और वैभव से लवरेज विवाह समारोहों पर ग्रहण लग गया। भारतीय प्राचीन संस्कृति में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कारों का उल्लेख है। इन सोलह संस्कारों में एक विवाह संस्कार या पाणिग्रहण संस्कार होता है। व्यक्ति के जीवन का यह प्रमुख संस्कार माना गया है। युवक एवं युवती धार्मिक विधि विधान से सात फेरे लेकर पति पत्नी के रूप में गृहस्थ जीवन की शुरुआत करते हैं। विवाह संस्कार पंडितजी द्वारा दोनों पक्षों के परिजनों के समक्ष सम्पन्न कराया जाता है। परिवार एवं समाज जन इस विवाह के साक्षी होते हैं। 
पिछले लगभग 25-30 वर्षों से विवाह समारोहों में निरंतर वैभव प्रदर्शन, धन की बर्बादी एवं अश्लीलता का बोल बाला बढ़ता जा रहा है। विवाह समारोह आलीशान मेरिज गार्डन में होने लगे। आशीर्वाद समारोह में तीन से चार हजार आमंत्रण पत्र दिये जाते है। आशीर्वाद समारोह रात्री 8 बजे प्रारंभ होता है जो देर रात 12 तक चलता है। स्वरुचि भोजन में लगभग 70 से 100 तक व्यंजन बनाये जाते है। बैंड, मेहमानों को ठहराने होटल, टैक्सियों को किराये पर लिया जाता है।
मेहमानों को विवाह के उपलक्ष में कीमती गिफ्ट दी जाती हैं। जिस समय बारात निकलती है उस समय सड़क पर सभ्रांत परिवारों की महिलाएं फूहड़ नृत्य करके मर्यादाओं को तार तार करती हैं। 
इन वैवाहिक रश्मों में एक और कुप्रथा ने जन्म लिया है, उसे विवाह पूर्व फिल्मांकन या pre wedding shoot कहते हैं। विवाह से पूर्व युवक युवती किसी हिल स्टेशन या पर्यटन स्थल जाते हैं वह कुछ रूक कर विभिन्न क्रिया कलापों का फिल्मांकन कराते हैं। उस विवाह पूर्व फिल्मांकन को आशीर्वाद समारोह में बड़े पर्दे पर लगातार दिखाया जाता है।
सुप्रसिद्ध जैन मुनि सुधासागर जी सहित अनेक संतों ने जैन समाज को आव्हान किया कि विवाह समारोह दिन में सम्पन्न करें। आशीर्वाद समारोह में सीमित व्यंजन बनाये जाये।
बारात में महिलाओं का नृत्य बंद किया जाये एवं  
रात्री में होने बाले महिला संगीत को बंद किया जाये। संतो के आदेश का जैन समाज ने अनेक नगरों में अनुशरण किया। मगर देश में विवाह समारोहों के नाम लाखों करोड़ों रुपये की बर्बादी नहीं रोक पाये। भारत में जैसे ही 24 मार्च से लाँकडाउन लगा, लाँकडाउन में विवाह समारोहों को ही प्रतिबंधित कर दिया था। लाँकडाउन खुलने के बाद विवाह समारोह पूर्ण सादगी पूर्ण सम्पन्न हो रहे है। मेरीज गार्डन, बैंड बाजे, आशीर्वाद समारोह,
बारात निकालने की अनुमति नहीं हैं। पिछले तीन माह जहाँ हजारों विवाह वैभव प्रदर्शन के साथ होते वह नहीं हो सके। शासन की अनुमति जो विवाह गत दिनों सम्पन्न हुए हैं, उनमें दोनों पक्षों के मात्र 50 लोगों को सम्मिलित होने की ही अनुमति दी जाती है। पिछले तीन माह में प्रतिबंधों के चलते देश में करोड़ों नहीं अरबों रुपये कि बर्बादी रुकी है। जिस कुप्रथा या वैवाहिक फिजूल खर्ची रुकबाने संत और समाज सुधारक निरंतर प्रयास करते रहे वह नहीं रुकपायी। इस पर आंशिक रोक कोराना महामारी की रोकथाम के नाम पर लग गई। हमे यह देखना हैं विवाह के नाम पर वैभव प्रदर्शन पर कब तक प्रतिबंध रहता है।          
(लेखक-विजय कुमार जैन)

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