हम लोग हमेशा भृम में रहते हैं कि यह हमारा दोस्त हैं या दुश्मन.वास्तव में कोई भी न हमारा दोस्त हैं और न दुश्मन।मेरे द्वारा किये गए कर्म ही मेरे मित्र हैं और मेरे द्वारा किये गए कर्म ही मेरे दुश्मन हैं।हर देश स्वतंत्र हैं उसका परिणमन किसी के अधीन नहीं हैं ,हम जरूर सोचते हैं कि यह मेरा दोस्त या दुश्मन हैं ,वास्तव में दोस्त और दुश्मनी परिस्थतिजन्य होती हैं।कल कि कोई गारंटी नहीं हैं कि जो हमारा दोस्त ,निकटतम हैं वह दुश्मन बन जाय।
पहले कहते थे कि दुश्मन को अहसानों से जीता जाता हैं पर यह कहावत पुरानी और वर्तमान सन्दर्भ में गलत होती जा रही हैं। आज चीन के द्वारा विस्तारवादी नीति के कारण उसने नेपाल को अपना पिठ्ठू बना लिया। इस मार्ग से वह नेपाल को इतना अधिक आर्थिक बोझ पर लाद देगा कि नेपाल को मज़बूरी में उसके उँगलियों पर नाचना होगा। नेपाल के बहाने व्यापार ,आर्थिक ,राजनैतिक ,सामाजिक और राजनयिक गतिविधियां बढ़ाकर उस पर आधिपत्य स्थापित कर सकेगा और अपने प्रभाव में रखेगा। इस बहाने वहां से अनैतिक ,अवैध गतिविधियां शुरू होने में कोई परेशानी नहीं होगी।
वास्तव में नेपाल का चरित्र शुरू से ही संदिन्ध रहता हैं ,उसके यहाँ से अवैध हथियार ,नगदी आदि प्रदाय करने का बहुत सुरक्षित जरिया हैं। हमारे लोग यानी हम भारतीय उसके यहाँ की आर्थिक वृद्धि में बहुत योगदान देते हैं। नेपाल एक ऐसा देश हैं जिसके माध्यम से चीन हमारे यहाँ सुरक्षित रूप से सेंधमारी कर सकता हैं और करेगा।
वर्तमान में चीन ने बांग्ला देश पर भी डोरे डालना शुरू कर दिया हैं। श्रीलंका और मालद्वीप भी उसके प्रभाव में आते जा रहे हैं और पाकिस्तान तो खुले रूप में उसका पिछलग्गू बना हुआ हैं। इसका मतलब क्या हम चारो तरफ से घिरते जा रहे हैं। यदि ऐसी स्थिति रही तो हम क्या कर सकेंगे ?क्या हम इतने अधिक मोर्चों पर एक साथ लड़ सकेंगे ?
बाह्य के साथ आंतरिक अशांति ,असहयोग और अधिक घातक होता हैं। पता नहीं देश के अंदर भी कितने लोग अन्य देशों के संपर्क में होने से आंतरिक स्थिति से बाह्य जगत को अवगत करा रहे हैं। इस समय देश कि समस्त पार्टियां सरकार को पूर्ण सहयोग दे और सरकार को भी चाहिए कि वह ऐसी विपद स्थिति में विपक्ष को दुश्मन न मानकर सहयोगी भाव से उन्हें सम्मान दे और उनके सुझावों को भी आदर दे. यह देश हित कि बात हैं।
येन सह चित्तविनाशोअभूत स सन्निहितो न कर्त्तव्यः।
जिसके दुर्व्यवहार से मन फट चूका हो उसके साथ मैत्री नहीं करना चाहिए।
सकृ द्विघटित चेतःस्फटिकवलयमिव कःसंधातुमीश्वरः।
जिस प्रकार टुटा हुआ स्फटिक मणि का कंकण जोड़ने में कोई समर्थ नहीं होता ,उसी प्रकार एक बार फटेहुए मन को जोड़ने में कोई समर्थ नहीं होता। इसकी पुष्टि जैमिनी ने भी कि हैं।
इसलिए नेपाल द्वारा भारत को आँख दिखाने का कारण चीन द्वारा उसे सहयोग देना। इसका मतलब जब कोई चूहा बिल्ली को आँख दिखाये तो मानकर चलना चाहिए कि उसका बिल नजदीक हैं।
जब एक छोटी चींटी हाथी को पछाड़ सकती हैं तब नेपाल आदि देशों पर अधिक भरोसा नहीं करना चाहिए। हर कदम इस समय बहुत सम्हाल कर रखने का हैं। अन्यथा कोई बड़ी मुसीबत का सामना न करना पड़े।
ये बात और रही दोस्ती नहीं करते ,
मगर जो तुमने किया गैर भी नहीं करते।
(लेखक-डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )
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