नई दिल्ली । आई मॉनेटरी एडवाइजरी (आईएमए) पोंजी स्कैम के आरोपी एक आईएएस अधिकारी ने मंगलवार को खुदकुशी कर ली। इस निलंबित आईएएस अधिकारी का नाम विजय शंकर था, जिन्होंने बेंगलुरु में अपने आवास पर आत्महत्या कर ली। विजय बेंगलुरु के चर्चित आईएमए पोंजी घोटाला मामले में आरोपी थे। एसआईटी ने विजय को पिछले साल रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया था। गिरफ्तारी के बाद से उन्हें निलंबित कर दिया गया था। कर्नाटक की एक कंपनी आईएमए ज्वेल्स ने निवेशकों को भारी रिटर्न का लालच देकर करीब 2000 करोड़ रुपए जुटाए। कंपनी के पोंजी स्कीम में हजारों लोगों ने निवेश किया था और करीब 38,000 लोगों ने धोखाधड़ी की शिकायत की है। सही जांच के लिए 18 लोगों ने हाई कोर्ट की भी शरण ली है। कंपनी के करीब 200 कर्मचारी भी धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, जो अब बेरोजगार हो गए हैं। बाद में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।
सितंबर 2019 में आईएमए पोंजी स्कीम मामले में सीबीआई ने आरोपी मंसूर खान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने कर्नाटक सरकार के अनुरोध पर 30 आरोपियों के खिलाफ 30 अगस्त 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में सीबीआई ने एक सितंबर 2019 को दूसरा मामला दर्ज किया था। दूसरी प्राथमिकी पीडी कुमार, कार्यकारी अभियंता, बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के खिलाफ 5 करोड़ के घालमेल को लेकर दर्ज की गई थी। इस पोंजी स्कीम में कर्नाटक के अलावा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के कई निवेशकों ने भी पैसा लगाया है। आई मॉनिटरी एडवाइजरी (आईएमए) असल में एक इस्लामी बैंकिंग और हलाल निवेश फर्म है जो शरिया के मुताबिक जायज निवेश और उस पर रिटर्न दिलाने का दावा करता है। इसलिए आईएमए ज्वेल्स में खासकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में निवेश किया है। आईएमए ने अपनी स्कीम में 14 से 18 फीसदी के भारी रिटर्न का वादा किया था, जिसके लालच में हजारों निवेशक फंस गए। इस तरह कंपनी ने करीब 2000 करोड़ रुपये जुटा लिए। इस मामले का मास्टरमाइंड मंसूर खान है। जिस पर करीब हजारों लोगों को ठगने का आरोप है। उसे पिछले साल 19 जुलाई को देर रात दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने आईएमए जयनगर के दफ्तर में और मंसूर खान के घर में छापा मारकर करोड़ों रुपए की ज्वैलरी और दस्तावेज जब्त किए थे। धोखाधड़ी के इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने मंसूर खान के खिलाफ पिछले साल जून में तीसरा समन जारी किया था। इस मामले में सीबीआई ने एक सितंबर 2019 को दूसरा मामला दर्ज किया था। दूसरी प्राथमिकी पीडी कुमार, कार्यकारी अभियंता, बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के खिलाफ 5 करोड़ के घालमेल को लेकर दर्ज की गई थी। गौरतलब है कि सीबीआई से पहले आईएमए पोंजी घोटाले की जांच कर्नाटक पुलिस की एसआईटी द्वारा की जा रही थी. 19 जुलाई 2019 को मंसूर खान को गिरफ्तार किया था।
लीगल
कैसे हुआ 4000 करोड़ का पोंजी घोटाला, जिसके आरोपी आईएएस अधिकारी ने की खुदकुशी - एसआईटी ने आईएएस विजय को पिछले साल रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था