नई दिल्ली । अंतरराज्यीय गिरोह के बदमाशों ने तीन साल में 100 करोड़ रुपये की 200 लग्जरी गाड़ियां चुराई थीं। इन गाड़ियों को बेचकर गैंग ने 30 करोड़ रुपये कमाए, इसका खुलासा आरोपी से स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ की पूछताछ में हुआ है। आरोपी लगभग सौ करोड़ से ऊपर की गाड़ियों को आधे दामों में बेचकर करोड़पति बन गए थे, लेकिन उनको यह नहीं पता था कि एक दिन एसटीएफ के हत्थे चढ़ जाएंगे। एसटीएफ जल्द चंडीगढ़ से मुख्य दो आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आएगी। उनके आने के बाद भी खुलासा होने की उम्मीद है। 30 करोड़ रुपये गैंग के सदस्यों में बांटे गए। सभी इस काम से खुश थे, लेकिन उनको अंदाजा नहीं था कि वह एक दिन ऐसे पकड़े भी जाएंगे। एसटीएफ आरोपियों से पूछताछ कर रही है। अभी और खुलासा होने की उम्मीद है। गैंग गाड़ी चुराने के बाद फर्जी दस्तावेजों पर उसका रजिस्ट्रेशन करवाते थे। उसके बाद गाड़ियों को रुपयों की जरूरत बता कर कम दामों में बेच देते थे। ज्यादातर यह लोग कैश में ही रुपये लेते थे, ताकि किसी को शक न हो। गाड़ी बेचने के साथ जल्द गाड़ी ट्रांसफर करवा देते थे ताकि वह पकड़े नहीं जा सकें। ज्यादातर गाड़ियां ऐसे प्रॉपर्टी डीलर और कारोबारियों को बेची थीं, जिन्हें लग्जरी कारों का शौक था और वह कम रुपये होने के कारण जल्दी खरीद लेते थे। चोरी की गाड़ी को सात दिन से दस दिन में कागज तैयार कर बेच दिया जाता था। एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ है कि 22 जिलों की 13 अथॉरिटी से चोरी की गाड़ियां फर्जी दस्तावेजों पर रजिस्टर्ड करवाईं। यही कारण है कि गिरोह के सदस्यों ने चार साल तक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चोरी की लग्जरी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन करवाया। सबसे ज्यादा सोनीपत अथॉरिटी से 56 चोरी की गाड़ियों का पंजीकरण करवाया। इसके अलावा गुरुग्राम से चार, नूंह से एक महेंद्रगढ़ से पांच सहित अन्य जिलों से 91 चोरी की हुईं गाड़ियों का पंजीकरण करवाया।
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लग्जरी गाड़ियां चुराकर कमाए 30 करोड़