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स्टार किड होने के बावजूद कितने लोगों ने रिजेक्ट किया, इसका कोई हिसाब नहीं : अभिषेक बच्चन -नेपोटिज्म पर बहस के बीच छलका दर्द

स्टार किड होने के बावजूद कितने लोगों ने रिजेक्ट किया, इसका कोई हिसाब नहीं : अभिषेक बच्चन -नेपोटिज्म पर बहस के बीच छलका दर्द

मुंबई । बीते काफी दिनों से सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म पर जबरदस्त बहस चल रही है। इसी के चलते करण जौहर और कई स्टार किड्स लोगों के निशाने पर आ गए हैं। सोशल अकाउंट्स पर फॉलोअर्स घटने के साथ-साथ कई फिल्म मेकर्स और स्टार किड्स को हेट कमेंट्स का सामना भी करना पड़ा रहा है। सोनम कपूर, सोनाक्षी सिन्हा जैसे कई सेलेब्स ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। वहीं अब इस मुद्दे पर बहस के बीच अभिनेता अभिषेक बच्चन का दर्द सामने आया है, उन्होंने बताया है कि स्टार किड होते हुए भी इंडस्ट्री में उन्हें कितने लोगों ने रिजेक्ट किया है। दरअसल, अभिषेक बच्चन ने हाल ही में अपने अनुभव के बारे में इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर की है। वह इंस्टाग्राम पर एक सीरीज चला रहे हैं। जिसमें वो हर साल आई अपनी फिल्मों और उससे जुड़ी कहानियों के बारे में खुलासा कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने 2009 को लेकर किए गए पोस्ट में बताया कि कैसे उन्होंने डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स के चक्कर लगाए। सभी से काम मांगा। काफी कोशिशों के बाद काम मिला लेकिन एक और मुसीबत आ गई।
अभिषेक बच्चन ने बताया बहुत सारे लोग यह नहीं जानते हैं कि साल 1998 में मैं और राकेश ओम प्रकाश मेहरा अपना करियर एक साथ शुरू करने वाले थे। वो, मुझे डायरेक्ट करने वाले थे इस प्रोजेक्ट का नाम था 'समझौता एक्सप्रेस' लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी हमें लॉन्च करने के लिए कोई नहीं मिला। मैं भूल गया हूं कि मैंने कितने निर्माताओं और निर्देशकों के चक्कर लगाए कि मुझे कोई एक चांस दे दे, लेकिन कुछ नहीं हो सका। समझौता एक्स्प्रेस कभी बन नहीं सकी। इस फिल्म को नहीं बना पाने का अभिषेक को आज तक दुख है। उन्होंने बताया, किस्मत से जेपी साहब को मेरा लुक पसंद आया। उनसे मिलते समय मैंने बाल और दाढ़ी बढ़ाए थे। वह मेरे साथ फिल्म 'आखिरी मुगल' बनाना चाहते थे। हालांकि वह फिल्म भी नहीं बन सकी लेकिन उन्होंने मुझे फिल्म 'रिफ्यूजी' में काम दिया'। इस तरह मुझे फिल्म जगत में प्रवेश मिल गया। लेकिन इसके लिए मुझे बिल्कुल सामान्य लोगों की तरह ही पापड़ बेलने पड़े।
 

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