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(चिंतन-मनन) जीवन में दर्द अस्थायी होता है

(चिंतन-मनन) जीवन में दर्द अस्थायी होता है

एक राजा ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और कहा, 'मैं चाहता हूं कि मैं अंदर से स्थिर बना रहूं। जीवन के उतार-चढ़ाव मेरा संतुलन बिगाड़ देते हैं। तुम कोई ऐसी चीज बताओ जिससे दुख की अवस्था से गुजरते हुए मैं खुशी पा सपूं और जब मैं आनंद की अवस्था में होऊं, तो वह चीज मुझे दुखों की याद दिलाती रहे। ऐसी चीज खोजो जो मैं अपने पास रख सपूं ताकि मेरे चारों ओर कुछ भी घटता रहे, पर मैं शांत-स्थिर रह सपूं।'  
सभी सलाहकार मिलकर बैठे और उन्होंने विचार-विमर्श किया। अंत में वे एक बक्सा लेकर राजा के पास गए- 'महाराज, आप इस बक्से को खोलें।' राजा ने उसे खोला तो उसमें एक छोटी अंगूठी मिली। उन्होंने राजा से कहा, 'इस पर जो लिखा है,उसे पढ़ें।' अंगूठी पर लिखा था- 'यह समय भी बीत जाएगा।' इन पांच सादे लफ्जों से राजा को बड़ी मदद मिली। हमें भी संतुलन बनाए रखने में इनसे मदद मिल सकती है। जब हम बहुत आनंद में हों, तब याद रखने की जरूरत है कि चीजें हर समय ऐसी नहीं रहेंगी और जब खुशहाल वक्ति गुजर जाए तो हमें निराश या हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। हमें ये पांच सादे लफ्ज याद दिला सकते हैं कि दर्द अस्थायी है और खुशहाली फिर लौट आएगी।  
सभी जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं। ये जीवन के अभिन्न अंग हैं। इनसे बचा नहीं जा सकता। प्रश्न यह है कि जीवन-पथ पर जब हम ऊंच-नीच का सामना करेंगे तो क्या हम मन की शांति खोकर अस्थिर हो जाना चाहेंगे ? अगर हम खुद को जिंदगी में घटने वाली हर घटना से प्रभावित होने देंगे तो हम आनंद की ऊंचाइयों से घोर निराशा की गहराइयों में पहुंच जाएंगे लेकिन अगले ही क्षण वापस आनंद की अवस्था में होंगे।  
इस लगातार बदलाव से अक्सर भय, तनाव और आतंक पैदा होता है क्योंकि हमें कभी यह पता नहीं होता कि आगे क्या होगा। समय के साथ, भय और तनाव की यह अवस्था हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाती है और हम शांत या तनाव रहित नहीं हो पाते। ध्यान और प्रार्थना के द्वारा हम शांत स्थान पर पहुंच सकते हैं। हमारे अंतर में समस्त दैवी खजाने हैं। हम मात्र शरीर और मन नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। आत्मा ज्योति, प्रेम और आनंद से भरपूर है। यह हर समय प्रभु से जुड़ी रहती है। सृजनात्मक शक्तिि यानी प्रभु और आत्मा एक ही तत्त्व के बने हैं। अगर हम प्रतिदिन अपना कुछ समय अंतरात्मा की शांति में व्यतीत करें तो हम आनंद के एक स्थान से जुड़ जाएंगे। तब बाहरी परिस्थितियां प्रभावित नहीं करेंगी। अगली बार हमें दुख-दर्द हो तो हम याद रखें, 'यह समय भी बीत जाएगा।'  
 

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