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महामारी में उभरता ऑनलाइन शिक्षा का भविष्य 

महामारी में उभरता ऑनलाइन शिक्षा का भविष्य 

वैश्विक महामारी के चलते दुनिया दहशत में है। दुनिया के विकास की रफ़तार में अचानक ब्रेक लग जाने से विश्व की श्रेष्ठतम् व्यवस्था वाले देश भी थम से गए हैं। देश और दुनिया के तमाम कारोबार, व्यवसाय जहां ठप्प पड़े हैं, वहीं ज्यादातर काम घरों से किए जा रहे हैं। ऐसे में कोरोना वायरस ने शिक्षा व्यवस्था पर भी खासा प्रभाव छोडा है। पिछले कुछ हफ़तों से स्कूल कॉलेजों में ताला जड़ा हुआ है। ज्यादातर स्कूलों और कॉलेजों से ऑनलाइन क्लासेज दी जा रही है। संकट के इस दौर में निश्चित तौर पर ऑनलाइन शिक्षा एक सुनहरे भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में जुटा है।
मौजूदा दौर में सिविलसेवा ,आई.आई.टी., यूजीसी नेट, नीट जैसे कोचिंग संस्थानों ने भी ऑनलाइन स्टडी का बेहतर प्लेटफॉर्म तैयार करना आरम्भ कर दिया है। जो आने वाले समय में ग्रामीण भारत की नई इबारत लिखने वाला साबित होगा।
डिजिटल शिक्षा प्रणाली को अधिक उत्कृष्ट बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा ’भारत पढ़े ऑनलाइन’ अभियान की शुरूआत की गयी है। हालांकि पिछले कुछ दशकों से सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रहे बदलाव, शिक्षा के क्षेत्र को लगातार बदलते जा रहे हैं। जिसका प्रभाव हमें क्लास रूम से लेकर शिक्षण तकनीकि में साफ़ तौर पर दिखाई देता है। डिजिटल क्रान्ति ने जहां साधारण ब्लैकबोर्ड की जगह स्मार्ट बोर्ड ने ले ली है, वहीं परम्परागत चॉक का स्थान विविध प्रकार के मार्कर ले चुके हैं। कुछ मामलों में अभी भी दूर-दराज ग्रामीण इलाकों में तकनीकि की यह रफ़तार पहुंच से दूर थी, लेकिन कोरोना संकट में तेजी से ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ना आरम्भ कर दिया है।
जहां ऑनलाइन शिक्षा कुछ छात्रों के लिए वरदान बनकर आयी है, तो वहीं कुछ के लिए नई चुनौतियां भी बनकर उभरी है। ऐसी स्थिति में जहां भारत के अधिकांश ग्रामीण इलाके जहां हाई स्पीड इंटरनेट आज भी एक चुनौती है, कहीं बिजली की आपूर्ति है तो कहीं इंटरनेट की पहुंच बाकी है। ऐसे में देखना होगा की शिक्षा का यह सुनहरा प्लेटफॉर्म छात्रों को कितना सहज कर पाता है। माना जा रहा है, कि शिक्षा की डिजिटल क्रान्ति 2025 तक भारत में ऑनलाइन शिक्षा का एक बड़ा बाजार तैयार कर लेगी। 
भारत की प्राचीन शिक्षा पददति गुरूकुल और आश्रम पददति पर आधारित थी। समय के साथ शिक्षण पददति ने कई सोपान तय किए। आज भी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव का दौर जारी है। इसी कडी में चुनौतियों को अवसर में बदलती हुई ऑनलाइन शिक्षा पददति एक बेहतर विकल्प के तौर पर देखी जा रही है। भारत एक वृहद जनसंख्या वाला देश है। यहां पर शिक्षा का समान अधिकार तो बहुत पहले ही दिया जा चुका है, लेकिन जमीनी हकीकत में आज भी गरीब-अमीर की शिक्षा में गैरबराबरी साफ तौर पर देखी जा सकती है। 
ग्रामीण भारत के बहुत से छात्र आज भी शहरों के बड़े कोचिग सेंटर के लिए तक अपनी पहुंच नही रखते, ऑनलाइन के माध्यम से आसानी से अपने सपनों को पंख दे सकते हैं। शिक्षा की ये नवीन पददति वेब आधारित लार्निंग, मोबाइल और कम्प्यूटर आधारित लर्निंग, वर्चुअल क्लास रूम आदि ई-लर्निंग के माध्यम हैं। भारत सरकार का लगातार प्रयास शिक्षा में तकनीकि के प्रयोग को बढ़ावा देना है, जिसके लिए विभिन्न ई-लर्निंग कार्यक्रमों का समर्थन कर रही है।
आनॅलाइन शिक्षा की सबसे अहम खूबी है, कि इसमें समय, स्थान की पाबंद न होते हुए भी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। साथ ही विद्यार्थी अपनी सुविधा अनुसार कभी भी पुनः अपने पाठ्यक्रम का रिवीजन आसानी से कर सकता है। ई-लर्निंग कौशल सीखने से लेकर पर्यावरण के संरक्षण में भी सहायक है। पाठ्य-पुस्तकों के लिए प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पेड़ काटे जाते हैं। जिनसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है। आनॅलाइन पुस्तकों का संग्रह हमें इस तरह के नुकसान से बचाता है।
सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास -  भारत सरकार द्वारा कक्षा 9 से पोस्ट ग्रेजुएशन तक ऑनलाइन कोर्सेज मुहैया कराने के लिए ’स्वयं’ कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। 
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के द्वारा ’स्वयं प्रभा’ नामक शैक्षिक चैनल की शुरूआत की गयी, जिसमें 32 डीटीएच चैनलों के माध्यम से देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में कला, विज्ञान, वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, सूचना तकनीकी, कानून, चिकित्सा, कृषि आदि विषयों के टीचरों को कवर करने वाला पाठ्यक्रम मुहैया कराया जाता है।
सिंगल-विंडो सर्च सुविधा के तहत सीखने के लिए ’नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इण्डिया’ की शुरूआत की। जिसका उददेश्य छात्रों को ज्ञान प्राप्ति के लिए सशक्त बनाना एवं प्रेरित करना तथा प्रोत्साहित करना है।
ई-पाठशाला इसमें एनसीईआरटी के माध्यम से छात्रों के लिए ऑडियो, वीडियो, ई-बुक्स आदि की व्यवस्था की गयी है। 
दीक्षा एप जिसमें कक्षा 1 से 12वीं तक की सीबीएसई, एनसीईआरटी और स्टेट/यूटी की ओर से लगभग 80 हजार से अधिक ई-बुक्स मौजूद हैं। इन प्रयासों के अलावा अनेकानेक यूटयूब चैनलों के माध्यम से निःशुल्क और शुल्क दे कर भी शिक्षण का कार्य हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के लिए किया जा रहा है, जिनके माध्यम से छात्र अपने जीवन में लगातार सफल हो सकते हैं।
इन तमाम सुविधाओं के बावजूद ऑनलाइन शिक्षा की दिशा में कई चुनौतियां भी हैं, जिन्हें दूर करना वर्तमान परिपेक्ष में सबसे जरूरी है।
भारत में आनॅलाइन शिक्षा का बुनियादी बेस विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। भारत के ग्रामीण इलाके अभी भी बेहतर बिजली सुविधाओं जैसी समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में हाई स्पीड इन्टरनेट एक बडी चुनौती है। एक अनुमान के मुताबिक उच्च शिक्षा हासिल कर रहे ग्रामीण छात्रों में से केवल 28 प्रतिशत छात्रों के घरों तक ही इन्टरनेट की सुविधा है। ग्रामीण एवं शहरी भारत की यदि बात करें तो हमेशा से दोनों की सुख- सुविधाओं में खासा अंतर रहा जो आज भी मौजूद है। इसलिए हमें भारत के बुनियादी ढ़ांचे को मजबूत करना होगा। 
इंटरनेट एण्ड मोबाइल एसोसिएशन इण्डिया के मुताबिक मार्च 2019 तक भारत की 45 करोड आबादी तक ही इंटरनेट की पहुंच थी। वर्तमान समय की बात करें तो केवल 35 प्रतिशत लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल बेहतर ढ़ंग से कर पा रहे हैं। हालांकि ऐसा माना जा रहा है, कि 2021 तक यह आंकडा 73 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
केरल जैसे शैक्षिक दृष्टि से संपन्न राज्य के लोगों के पास घरों में 23 फीसदी लोगों के पास ही इंटरनेट की सुविधा है, ऐसे में यदि हम बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की बात करें तो 7 से 8 फीसदी ग्रामीण परिवार ही है, जिनतक इंटरनेट की पहुंच हो पायी है। ऐसे में हाई स्पीड इंटरनेट अभी भी भारत के ज्यादातर राज्यों की सबसे बडी चुनौती बनी हुई है। 
ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर आगे की राह तय करनी चाहिए। आज भी  भारत के अधिकांश गरीब परिवारों के पास स्मार्टफोन न होने के कारण गरीब छात्रों के द्वारा ऑनलाइन स्टडी के लिए पर्याप्त सुविधाए नहीं हैं। इसके लिए सरकार को गरीब छात्रों के लिए सस्ते स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। तभी भारत सरकार का डिजिटल इण्डिया का सपना पूरा हो सकता है। मौजूदा समय में देश में लगभग 29 करोड़ स्मार्टफोन यूजर हैं ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है, कि 2021 तक लगभग 18 करोड नये उपभोक्ता जुडने की संभावना है। सामाजिक न्याय का तकाजा है, कि भारत के हर नागरिक को शिक्षा का समान अधिकार मिले, फिर वह ऑनलाइन हो या ऑफ लाइन इसलिए सरकार द्वारा चलाई जा रही स्कीमों को बेहतर क्रियान्वयन करने की आवश्यकता है। ताकि बुनियादी तौर पर भारत की शिक्षा व्यवस्था सशक्त बन सके।
(लेखक-डा. नाज़परवीन )

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