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मशहूर लेखकों का अवसाद 

मशहूर लेखकों का अवसाद 

साह‍ित्‍य की ज‍िस दुन‍िया को सबसे ज्‍यादा बुद्धिजीवी  माना जाता है। जो लेखक कल्‍पनाओं और क‍िरदारों में जीते हैं वे भी अवसाद का शि‍कार हो जाते हैं और खुद को खत्‍म कर लेते हैं. दुन‍िया में अब तक क‍िन मशहूर लेखकों अवसाद या अन्‍य अबूझ कारणों के चलते अपनी जिंदगी को हमेशा के ल‍िए खत्‍म कर ल‍िया।
अवसाद एक छुपा रोग हैं ,यह मानसिक रोग होने से जल्दी पकड़ में नहीं आता पर यह एक घुन हैं जो धीरे धीरे नुक्सान पहुंचाता हैं .वर्तमान में यह रोग सर्वव्यापी हो रहा हैं ,इसका कारण सहनशीलता का अभाव , अनचाहे भावों को निमंत्रित करना ,असफल होना .जबकि जीवन उतार चढ़ाव का नाम हैं .
इस रोग से अधिकतर बहुत अधिक बुद्धिजीवी ,डॉक्टर ,इंजिनीयर ,धनपति ,नेता ,अभिनेता जैसे लोग जल्दी ग्रसित होते हैं और वे ही अवसाद के बाद आत्महत्या कर बैठते हैं .यह कहना सरल हैं पर व्यक्तिगत रूप से जो इस रोग से ग्रसित होता हैं ता गुजरता हैं वह ही इसकी अनुभूति का अहसास करके अंतिम लक्ष्य मौत को अंगीकार करता हैं ,यह जीवन से एक प्रकार की मुक्ति मानता हैं पर भारतीय दर्शन में यदि पुनर्जन्म में आस्था हैं तो यह पलायन कह सकते हैं .या दर्शन की दृष्टि से जिस जीव का जो परिणमन होना होता हैं वैसे निम्मित बन जाते हैं .बस इसी बिंदु पर ही हमें सम्हालने या सम्हलने की जरुरत हैं ,इस रोग से निम्म लोगों ने भी अपने आपको मौत से लगाया यानी आत्हत्या की .
सिल्विया प्लाथ
अपने लेखन के लिए पुलित्जर अवॉर्ड जीतने वाली सिल्विया एक मशहूर लेखक हैं। परिवार की जिम्मेदारियों के बीच डिप्रेशन की बीमारी से जूझ रही थीं। 27 अक्टूबर 1932 में जन्मी सिल्विया ने 11 फरवरी 1963 को घर की रसोई में आत्महत्या कर ली। सिल्विया ने ‘द कोलोसुस एंड अदर पोएम्स’ और ‘एरियल’ जैसी मशहूर क‍िताबें लिखी थी।
वर्जिनिया वूल्फ
‘टू द डॉल हाउस’ और ‘मिसेज डैलूवे’ किताब के लिए जाने जानी वालीं वूल्फ के बारे में कहा जाता है क‍ि वो अपनी निजी जिंदगी में मानसिक समस्याओं से परेशान थीं। 28 मार्च 1941 को 59 साल की उम्र में उन्होंने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।
जेरार्ड डि नेरवल
रोमांच के लेखक कहे जाने वाले लेखक जेरार्ड की खुद की रोमांट‍िक स्टोरी अच्‍छी नहीं थी। लोग उनकी क‍िताबों में लव स्‍टोरी पढते थे, लेकनि जेरार्ड की लव लाइफ अच्छी नहीं रही। इसी वजह से 26 जनवरी 1855 को 46 साल की उम्र में उन्होंने आत्‍महत्‍या कर ली।
व्लादिमीर मायाकोवसिकी
व्लादिमीर रशिया के लेखक थे। उन्‍होंने ‘ए क्लाउड एन ट्राउजर’ और ‘बैकबॉन फ्लूट’ जैसी कव‍िताएं ल‍िखी हैं। वे ल‍िटरेचर के ट्रेड‍िशनल तरीके को तोड़ने वाले लेखक माने जाते हैं। व्लादिमीर ने 36 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली थी।
अरनेस्ट हेमिंग्वे
नॉवेल की दुन‍िया में सबसे अग्रणी नाम है अरनेस्‍ट हेम‍िंग्‍वे का। उन्‍हें 1954 में नोबेल पुरस्कार और 1953 में पुलित्जर अवॉर्ड म‍िल चुका है। कई सालों तक हेमिंग्वे की मौत के बारे में क‍िसी को पता नहीं था। उनकी मौत के करीब 5 साल बाद उनकी पत्नी हेनरी ने एक टीवी इंटरव्यू में बताया था हेम‍िंग्‍वे की मौत की वजह सुसाइड थी। 2 जुलाई 1961 को उन्‍होंने सुसाइड कर ल‍िया था।
सीजर पावेस
इटालियन लेखक सीजर 20वीं सदी के बड़े लेखकों में शामिल हैं। वे लेखक, कवि और अनुवादक थे। निजी जिंदगी से परेशान होकर 27 अगस्त 1950 को एक होटल रूम में आत्‍महत्‍या की थी।
युकियो मिसिमा
जापानी लेखक युकियो यौन संबंध, हत्‍या और मौत जैसे सब्‍जेक्‍ट पर लिखने के लिए मशहूर थे। 1988 में उन्हें मिसिमा अवॉर्ड दिया गया। तीन बार लिटरेचर नोबेल अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया। युकियो के बारे में कहा जाता है कि 25 नवंबर 1970 को सुसाइड किए जाने से एक साल पहले से वो आत्महत्या प्लान कर रहे थे।
एन्ने सेक्सटन
अपनी किताब ‘लिव एंड डाई’ के लिए 1967 में पुलित्जर अवॉर्ड जीतने वाली एन्ने ने 4 अक्टूबर 1974 को सुसाइड कर लिया। उनकी ज‍िंदगी इसी क‍िताब की तरह रही। एन्ने लंबे समय से डिप्रेशन का शि‍कार थी।
हंटर एस थॉमसन
18 जुलाई 1937 को जन्मे थॉमसन अमेरिकी लेखक और पत्रकार थे। थॉमसन ‘हेल्स एंजल्स’, ‘द रम डायरी’, ‘फियर एंड लोथिंग इन लेस’, ‘वेगास’, ‘कैंपेन ट्रेल 72’, ‘द कोर्स ऑफ लोनो’ के लिए जाने गए। थॉमसन ने 20 फरवरी 2005 को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
आर्थर कोस्टलर
डार्कनेस ऑफ नून लिखने वाले ऑर्थर का यूरोपियन साहित्य में बड़ा नाम है। ऑर्थर ने कई मशहूर उपन्यास लिखे। 1 मार्च 1983 को 77 साल की उम्र में उन्होंने ड्रग्स की ओवरडोज लेकर खुद की जान ले ली। अपने सुसाइड नोट में उन्‍होंने ल‍िखा था क‍ि वो ओवरडोज लेकर आत्‍महत्‍या कर रहे हैं।
जिस तरह प्यार किया नहीं जाता ,हो जाता हैं ,उसी प्रकार ऐसी परिस्थिति निर्मित होती हैं की वह ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो जाता हैं .ऐसे व्यक्ति के तर्क उसके  हिसाब से सही रहते हैं .और यह एक लम्बी प्रक्रिया होती हैं ,अधिकांश यह तात्कालिक न होकर बहुत सोच विचार के बाद उठाया जाने वाला कदम होता हैं .वह व्यक्ति अन्धकार की लम्बी सुरंग में घुस जाता हैं और सोचता हैं की यह अन्धकार स्थायी हैं।
(लेखक-डॉक्टर अरविन्द  प्रेमचंद जैन )
 

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