नई दिल्ली । देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार फैलता ही जा रहा है। एक्सपर्ट भी मानते हैं कि यह वायरस लंबे समय तक हमारे बीच रहेगा और अब हम सबको इसके साथ ही जीने की आदत डाल लेनी चाहिए। कोरोना से जंग में सोशल डिस्टेंसिंग एक कारगर हथियार है। दिल्ली में परिवहन व्यवस्था में भी 2 गज की दूरी यानी की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य कर दिया गया है। इसलिए डीटीसी बस में 20 सवारियों को ही चढ़ने की अनुमति दी गई है। दिल्ली में लोग बसों में सफर कर सकें इसके लिए यहां अतिरिक्त बसों की जरूरत पड़ रही है। देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां 43 लाख लोग औसतन डीटीसी बसों में रोज सफर करते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग लागू होने के बाद दिल्ली को अब 14,300 बसों की आवश्यकता होगी, जबकि अभी दिल्ली के बेड़े में कुल 5,576 बसें हैं। इस तरह दिल्ली को लगभग 9000 बसों की जरूरत है।
क्लाइमेट ट्रेंड्स नामक संस्था ने इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवेलपमेंट पॉलिसी के साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की है जो बताती है कि सोशल डिस्टेंसिंग अगर लागू रहा तो देश में 6 लाख बसों की जरूरत पड़ेगी। जबकि रिपोर्ट कहती है कि अभी देश में केवल 25000 ही सार्वजनिक परिवहन की बसें हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी की साउथ एशिया प्रोग्राम प्रमुख, श्रेया गड़ेपल्ली कहती हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण का ये समय हमें कई चीजों में सुधार करने का भी वक्त देता है। इस वक्त देश की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को सुधार करने का सबसे अच्छा अवसर है।
क्लाइमेट ट्रेंड्स की डायरेक्टर आरती खोसला का कहना है कि आज भी बड़ी संख्या में लोगों के लिए कार खरीदना संभव नहीं है। ऐसे में सार्वजनिक परिवहन सेवा की बसें ट्रांसपोर्ट सेक्टर की रीढ़ हैं। इसे तत्काल बढ़ावा देना जरूरी है।
रीजनल नार्थ
सोशल डिस्टेंसिंग लागू रहा तो दिल्ली को होगी 9000 बसों की जरूरत