शराब दुकानों की तालाखुलाई के बाद आज से अहाते भी पूरे शान-शौक़त से खोल दिए गए हैं। ख़ाली ख़ज़ाने को भरने केलिए अहाते खोलकर सुराप्रेमियों को ख़ास सहूलियत फिर से दी जा रही है। सौ दिनों बाद अहातों में फिर से रौनक़ लौटनेजा रही है।
कोविड-19 के चलते आम लोगों के लिए बहुत सारे क़ायदे क़ानून लाद दिए हैं। मास्क लगाना, फ़िज़िकल दूरी रखना हैं, झुंड में जमा नहीं होना है। भीड़भाड़ से बचने है। वाहनों के आवागमन हेतु भी कई नियम लागू किए गए हैं लेकिन अहाते मेंएकत्रित होने वाले माननीयों के लिए कोई ख़ास नियम नहीं बनाए गए हैं। माननीय इसलिए हैं कि वर्तमान हालात में यहीवो योद्धा हैं जो अपनी गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा सीधे जनता की भलाई के लिए अपनी स्वेच्छा से दान कर रहे हैं।दान करें भी क्यों न। दान का दान और मज़े का मज़ा।
इसको ऐसा समझ सकते हैं कि अगर कोई आम आदमी दान करता है तो उसे सिर्फ़ आत्मीय संतुष्टि मिलती है। यदि कोईरईस डोनेशन करता है तो उसे इनकम टैक्स में 80 ‘जी’ के तहत फिफ़्टी परसेंट की छूट मिल जाएगा बशर्ते दानकर्ता 80 ‘जी’ में रजिस्टर्ड हो। हाँ अगर कोई पीएम केयर फ़ंड में डोनेशन करता है तो उसे सौ फ़ीसदी छूट मिलेगी। अब सुराप्रेमियोंकी सहृदयता और आत्मसंतुष्टि को समझिए। वो जितने की पीता है उसका औसतन 70-75 फ़ीसदी दान करता है। इसमेंसे तक़रीबन 60 फ़ीसदी सीधे जनहित में सरकार के ख़ज़ाने में डालता है बाक़ी ठेकेदार और उसके कर्मचारियों के लिएदेता है। सुराप्रेमियों को अपनी कमाई का तीस फ़ीसदी का मानसिक आनंद मिलता है शेष सत्तर प्रतिशत का आत्मीय सुखप्राप्त होता है। ऐसे महान लोगों को दरुआ, शराबी या पियक्कड़ बोलना कहीं से भी उचित नहीं है, इन्हें सुराप्रेमी कहनाचाहिए और इनका सम्मान करना चाहिए। अर्थव्यवस्था के ये वाहक नियमित रूप से अपनी आय का सेवेंटी परसेंट प्रदेशकी भलाई में व्यय करते हैं। इसलिए इनको किसी भी नियम क़ायदे में नहीं बांधना चाहिए। बल्कि सुराप्रेमी योद्धाओं कोपूर्ण सुरक्षा, संरक्षण और सम्मान मिलना चाहिए।
अब रही बात हमारे सुराप्रेमी योद्धा अहाते में बैठकर कैसे पिएँ ताकि वो कोरोना से इंफ़ेक्टेड न हों और उनकी दान प्रक्रियासतत रहे। अहाता संचालक कुछ न कुछ व्यवस्था तो रखेगा ही, सुराप्रेमियों को चाहिए वो भी एहतियात बरतें। गला औरआतंडिया सेनेटाईज करने से पहले हाथ सेनेटाईज ज़रूर करें और मानव दूरी मेंटेन करें। संभव हो तो मास्क लगे-लगे पिये, कोरोना वायरस के साथ-साथ बैक्टिरिया से भी बचाव होगा और सुरा भी छन छन कर गले के भीतर पंहुचेगी। सुराप्रेमीहमारी अर्थव्यवस्था के डेली डोनर हो इसलिए इनका स्वस्थ्य रहना अत्यंत आवश्यक है।
(लेखक-ज़हीर अंसारी )
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ये पियक्कड़ नहीं डेली डोनर हैं......