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खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नए अवसर खुल रहे हैं  

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नए अवसर खुल रहे हैं  

भारत सरकार के राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी इंवेस्ट इंडिया द्वारा एक्सक्लूसिव इन्वेस्टमेंट फोरम के खाद्य प्रसंस्करण की शुरुआत की गयी है। इन्वेस्ट इंडिया ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के वैश्विक नेताओं और केंद्र एवं राज्य सरकारों के उच्चतम स्तर के प्रमुख नीति निर्माताओं के बीच विस्तृत बातचीत कराने के लिए इस क्षेत्र के अद्वितीय श्रृंखला के इस मंच को डिजाइन किया है। इस मंच में केंद्र सरकार और 6 राज्य सरकारों - आंध्र प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 6 वरिष्ठतम नीति निर्माताओं ने भाग लिया। इस मंच में 18 देशों की 180 कंपनियों ने भी भाग लिया।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर का कहना है कि कोविड महामारी के कारण इस क्षेत्र के सामने अद्वितीय चुनौतियां आईं और यह लॉकडाउन की सफलता सुनिश्चित करने में लगातार बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में यह क्षेत्र कुछ ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा है जिनका संबंध वैश्विक व्यापार से है जहां मांग में भारी गिरावट देखी जा रही है। ये चुनौतियां इस विशेष मंच जैसे नए अवसरों का मार्ग खोलने के लिए अग्रसर हैं जिसमें 180 से अधिक निवेशकों, 6 राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के लिए एक ही समय में एक ही स्थान पर आना संभव बना दिया है। सभी प्रतिभागियों को भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उपलब्ध असंख्य अवसरों के बारे में जानकारी देते हुए यह भी बताया गया है कि कई एमओएफपीआई वित्त पोषित परियोजनाओं को हाल ही में नए क्षेत्रों से नए ऑर्डर भी मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पौष्टिक भोजन के महत्व पर ध्यान देने के साथ ही लोगों को यह पता है कि भारतीय लोगों की पाचन शक्ति प्रणाली ने कई अन्य देशों की तुलना में कोविड को बेहतर ढंग से निपटाने में सफलता पाई है। आज भारत के अच्छे व्यंजनों सुपरफूड्स से पश्चिमी दुनिया को अवगत कराने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त रेडी टू ईट सेगमेंट में काफी अवसर है जिसमें वैश्विक खुदरा विक्रेता अपने स्टोर में भारतीय भोजन रखने पर विचार कर सकते हैं। भारत में व्यापार करने वाले घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों को नियंत्रित करने के लिए इन्वेस्ट इंडिया में मंत्रालय के समर्पित निवेश सुविधा सेल की स्थापना से आगे और भी लाभ सामने आयेंगे ऐसी उम्मीद की जा रही है। 
(लेखक--सच्चिदानंद शेकटकर)
 

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