अपनी हेयर स्टाइल बदल चुके राहुल गाँधी को एक बार फिर कांग्रेस के अध्यक्ष बनाये जाने की मांग उठ रही है। पहले से ज्यादा आक्रामक नजर आ रहे राहुल गाँधी की आक्रमकता को ध्यान में रखकर ही उन्हें फिर से कांग्रेस संगठन की बागडोर सौंपे जाने की मांग तेजी पकड़ती जा रही है। ठीक सात साल पहले जनवरी 2013 में राजस्थान से राहुल गांधी की सियासी लॉन्चिंग हुई थी, उस समय जयपुर की कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया था। इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया था, लेकिन अब एक साल के बाद दोबारा से राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग राजस्थान से ही लगातार उठायी जा रही है।
राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की लॉबिंग राजस्थान के पार्टी नेताओं द्वारा की जा रही है। कांग्रेस कार्य समिति सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने की मांग उठाई। गहलोत की इस मांग का यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास ने समर्थन किया है। वहीं, अब राजस्थान के उप मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग की है।
सचिन पायलट ने साफ शब्दों में कहा है कि राहुल गांधी से हम सब की मांग है कि वह पुन: पार्टी की जिम्मेदारी संभाले। राहुल को दोबारा से पार्टी अध्यक्ष बनाने के लिए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बकायादा प्रस्ताव भी पारित किया है। पायलट ने कहते हैं कि देश में तमाम कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं की दिली इच्छा है कि राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व फिर से करें। पिछले कार्यकाल में भी उन्होंने पार्टी को मजबूत करने की दिशा में कई अहम कदम उठाए थे। एक बार उनके अध्यक्ष बनने से पार्टी में नए जोश और उत्साह का संचार होगा। बीते वर्ष लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने कांग्रेस को उसका खोया जनाधार वापस दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था। इसके बावजूद देश भर में कांग्रेस को महज 52 सीटें मिल सकीं। राहुल ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने तब कहा था कि वो अध्यक्ष के रूप में काम नहीं करना चाहते लेकिन पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। इसके बाद अगस्त 2019 में कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर फिर से सोनिया गांधी को कमान सौंप दी गई है।
कोरोना संकट ने राहुल गांधी को एक राजनीतिक अवसर दिया है, जिससे वह अपनी छवि संजीदा और संवेदनशील नेता की बना सकें और वापस विपक्ष की राजनीति में केंद्रीय भूमिका में आ सकें। कांग्रेस नेता भी ये बात समझ रहे हैं। वे लगातार यह बात प्रचारित कर रहे हैं कि राहुल गांधी देश में कोरोना संक्रमण के संकट को समझने वाले और उससे सावधान करने वाले पहले नेता थे। ऐसे ही चीन को लेकर जिस तरह से उन्होंने सवाल खड़े किए हैं, उससे भी उनकी गंभीरता बढ़ी है। इसीलिए अब एक साल के बाद राहुल गांधी को दोबारा से पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग उठ रही है।
(लेखक-सच्चिदानंद शेकटकर)
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