नई दिल्ली । पिछले दिनों हुई एक स्टडी में सामने आया कि हाई कैलोरीज फूड खाने पर मिलने वाला प्लेजर ही हमें अधिक खाने यानी ओवर ईटिंग करने को मजबूर करता है। यही स्वाद या मजा हमारे नैचरल फीडिंग शेड्यूल को डिस्टर्ब करने का कारण बन सकता है। इस कारण हम जरूरत से अधिक खाना खाने लगते हैं। हमें शांति और खुशी का अहसास डोपामाइन हॉर्मोन के कारण होता है। इसी कारण हमारे दिमाग में जिस जगह इस हॉर्मोन का सीक्रेशन यानी रिसाव होता है, उस जगह को प्लेजर सेंटर कहते हैं। जब हम हाई कैलरी फूड खाते हैं तो ब्रेन के प्लेजर सेंटर और हमारे शरीर की बायॉलजिकल क्लॉक दोनों के बीच एक कनेक्शन बन जाता है। यह भी एक वजह है कि हाई कैलरी फूड खाने के बाद हमें अच्छा महसूस होता है। ऐसे में हम भूख से अधिक खाते जाते हैं...
यह बात जर्नल करंट बायॉलजी में पब्लिश हुई एक स्टडी में कही गई है। यह स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया द्वारा कुछ समय पहले की गयी। शोध के लीड ऑर्थर अली गुलेर के अनुसार, लैबोरेट्री टेस्ट में सामने आया कि सामान्य भोजन, व्यायाम और कम तला-भुना खाना खानेवाले लोगों का वजन आमतौर पर संतुलित रहता है। ऐसे लोगों को बार-बार स्नेक्स खाने या हाई कैलरी फूड खाने की क्रेविंग नहीं होती है। जो लोग हाई कैलरी फूड खाते हैं, उन्हें बार-बार भूख लगती है। खासतौर पर स्ट्रीट फूड और मैदा से बनी अधिक चीजें खानेवालों को कुछ-कुछ समय बाद भूख का अहसास होने लगता है। जबकि उनके शरीर को उस दौरान ऊर्जा की कोई जरूरत नहीं होती। मतलब उन्हें भूख महसूस होती है, लेकिन उन्हें सच में भूख नहीं लगी होती है। इसी को क्रेविंग होना कहते हैं।
बिना शरीर की जरूरत के खने से बढ़ता है फैट:
अब बार-बार और बिना शरीर की जरूरत के खाने पर तो फैट बढ़ेगा ही। क्योंकि हमारा शरीर गैरजरूरी फैट को स्टोर करने लगता है। यही फैट चर्बी के रूप में हमारे शरीर पर लटकता है। अगर आप मोटापे से बचना चाहते हैं और फिट रहना चाहते हैं तो हाई शुगर, हाई कैलरी और बहुत अधिक चटपटा भोजन खाने से परहेज करें। कभी-कभार खाने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन इसे आदत या रुटीन ना बनाएं। ऐसा करेंगे तो आप फिट रहेंगे।
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दिमागी लोचे के कारण टेस्टी फूड देखकर टपकने लगती है लार -हाई कैलोरीज फूड खाने से मिलने वाला प्लेजर करता है अधिक खाने पर मजबूर