कोलकाता । भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) अध्यक्ष सौरव गांगुली ने टी20 क्रिकेट को एक अहम प्रारुप बताया है। पूर्व कप्तान गांगुली ने कहा कि अगर वह भी इस प्रारुप में खेल रहे होते तो इसके अनुसार उन्हें भी अपने खेल में बदलाव करने होते। गांगुली ने सोशल मीडिया पर हुए एक कार्यक्रम में सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल से बात हुए कहा, ‘‘टी20 बहुत अहम प्रारुप है। इसके लिए मैंने अपने भी खेल में बदलाव किया होता। यह आपको खुलकर खेलने की आजादी देता है।’’
गांगुली का क्रिकेट करियर जब समाप्त हो रहा था तभी टी20 प्रारुप शुरु हुआ इसलिए वह इसे अधिक नहीं खेल पाये। उन्होंने आईपीएल फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स की कप्तानी की और फिर पुणे वारियर्स के लिए भी खेले। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे टी20 खेलना पसंद था, हालांकि मैंने आईपीएल के पहले पांच साल खेले है। मुझे लगता है कि मैंने टी20 का आनंद उठाया था।’’ गांगुली ने इस दौरान 2003 विश्व कप और लॉर्ड्स की बालकनी से टी-शर्ट लहराने की यादों को ताजा किया। गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम 2003 विश्व के फाइनल में पहुंची थी जबकि टीम ने 2002 में नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल में 326 रन के लक्ष्य को हासिल कर शानदार जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बेहतरीन क्षण था। हम भावनाओं में बह गये थे, पर खेल में ऐसा होता है। जब आप इस तरह का मैच जीतते हैं, तो आप और भी अधिक जश्न मनाते हैं। यह उन शानदार क्रिकेट मैचों में से एक था जिसका मैं हिस्सा रहा हूं।’’
स्पोर्ट्स नार्थ
टी20 प्रारुप खुलकर खेलने की आजादी देता है : गांगुली