चेन्नई । अमिनेता और राजनेता कमल हसन ने कोरोनोवायरस द्वारा चुनौती का सामना करने के लिए "चेन्नई बचाओ" आंदोलन की शुरुआत की है। उन्होंने कोरोनावायरस महामारी से निपटने को लेकर तमिलनाडु की ई पलानीस्वामी सरकार पर पारदर्शिता की कमी और कुप्रबंधन का आरोप लगाया। चेन्नई में कोरोनावायरस से चलते 33 घंटे का लॉकडाउन लगाया गया है। देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों की बात करें तो तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है। यहां एक लाख 11 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें राज्य की राजधानी चेन्नई का एक बड़ा हिस्सा भी है।
एक समाचार चैनल से बातचीत में कमल हसन ने कहा,“मुझे लगता है कि कुप्रबंधन के बारे में बात करने में बहुत देर हो चुकी है। इसलिए हम नागरिकों के रूप में अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं के लिए स्थिति का प्रबंधन करने में लगे हैं, क्योंकि यह सरकार नागरिक भागीदारी के लिए उत्सुक होती, तो बेहतर होता।'
कमल हसने ने बताया कि केरल जिसने कोविड-19 से लड़ाई में अतुलनीय काम किया है उससे कहीं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं तमिलनाडु में हैं। लेकिन तमिलनाडु उसका सही तरीके से उपयोग करने में असफल रहा है। यह सरकार की उदासीनता का एक उदारहण है।
उन्होंने कहा, "यह उदासीनता है क्योंकि उन्होंने सोचा था कि यह दूर हो जाएगा या अनजान थे और मेडिकल काउंसिल की बात नहीं सुनी। शीर्ष अधिकारियों के रवैये ने उन्हें विश्वास दिलाया कि यह उतना गंभीर नहीं है जितना कि दुनिया इसे समझती है।"
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कमल हसन ने "चेन्नई बचाओ" आंदोलन की शुरुआत की