नई दिल्ली । देश भर में बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच दिल्ली में कोरोना अब काबू में आता दिख रहा है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण के आंकडे भले ही 1 लाख के पार हो गए हों लेकिन ठीक होने वालों की संख्या 72 हजार है यानी देश भर के मुकाबले कोरोना से ठीक होने में दिल्ली का रिकवरी रेट 71 फीसदी पहुंच गया है। कोरोना ममालों को लेकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को पीछे छोड़ने वाली दिल्ली में आखिर ऐसा क्या हुआ कि कोरोना अंडर कंट्रोल हो गया? क्या महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों को दिल्ली मॉडल से सीखने की जरूरत है? दिल्ली में कोरोना से होने वाले मौतों के आंकडों को कैसे कम किया गया? ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना के रोकथाम के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार की साथ में लिए गए फैसलों और बेहतर रणनीति के चलते कोरोना से जंग में जीत दिखाई दे रही है। दिल्ली में एक ओर हर रोज टेस्ट के आंकडे बढ़ रहे हैं इसके ठीक उलट कोरोना संक्रमण के मामलें में कमी आ रही है। इतना ही नहीं कोरोना से बिमार हुए मरीजों का रिकवरी रेट भी दिल्ली में 71 फीसदी तक जा पहुंचा है। जबकि देश भर में रिकवरी रेट 60 फीसदी के आसपास है। लगभग डेढ़ महीने पहले जब दिल्ली में लॉकडाउन खोला गया था, तब कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी थी। अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी थी, लोगों को टेस्ट कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। जिस गति से उस वक्त कोरोना के केस बढ़ रहे थे, उसके मुताबिक यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अगर यही स्थिति रही तो 30 जून तक दिल्ली में कोरोना के एक लाख केस होंगे और जुलाई के आखिर तक ये आंकड़ा साढ़े पांच लाख तक पहुंच जाएगा।
रीजनल नार्थ
अहम फैसलों ने बदल दी दिल्ली की किस्मत