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नार्थ

कुख्यात अपराधी विकास दुबे के मददगार 200 से अधिक पुलिसवाले शक के दायरे में  इन सभी की मोबाइल डिटेंल खंगाल रही पुलिस 

कुख्यात अपराधी विकास दुबे के मददगार 200 से अधिक पुलिसवाले शक के दायरे में  इन सभी की मोबाइल डिटेंल खंगाल रही पुलिस 

कानपुर । कानपुर में कुख्यात अपराधी विकास दुबे के गुर्गों के साथ एनकाउंटर में 8 पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद जांच पड़ताल जारी है। पूरे मामले में पुलिस विभाग के लोगों की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल कह चुके हैं कि चौबेपुर थाना शक के दायरे में है। जांच पड़ताल में धीरे धीरे पता चल रहा है कि पुलिस विभाग के भीतर छिपे विकास दुबे के मददगारों की संख्या बढ़ती जा रही है।सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे से संबंध के शक में पूरे चौबेपुर थाने सहित करीब 200 पुलिसकर्मी शक के दायरे में हैं, जिन्होंने समय समय पर विकास की मदद की। चौबेपुर, बिल्हौर, ककवन, और शिवराजपुर थाने के 200 से अधिक पुलिसकर्मी रडार पर हैं। इनमें से सभी वहां शामिल हैं जो कभी न कभी चौबेपुर थाने में भी तैनात रहे हैं। 
इन सभी के मोबाइल सीडीआर भी खंगाले जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक इनमें से तमाम पुलिसकर्मी विकास दुबे के मददगार रहे थे।यूपी एसटीएफ की टीमें एक-एक बिंदुओं पर काम कर रही है। बिकरू कांड में निलंबित बीट दारोगा केके शर्मा ने पूछताछ में बताया है कि 2 जुलाई को शाम 4 बजे विकास ने फोन पर धमकी देकर कहा था कि थानेदार को समझा लो। अगर बात बढ़ी,तब बिकरू गांव से लाश उठेंगी। बीट दारोगा ने थानेदार को सूचना देकर और बिकरू गांव की बीट हटाकर दूसरी बीट देने को कहा था। जांच के मुताबिक दारोगा केके शर्मा ने बताया है कि वहां विकास दुबे की धमकी से सहम गया था। इसकारण बाद में मुठभेड़ टीम में भी शामिल नहीं हुआ। 
बहरहाल,कानपुर कांड की मजिस्ट्रेट जांच भी शुरू कर दी गई है। एडीएम ने दस्तावेज, एफआईआर कॉपी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि मांगे हैं। मामले में बयान दर्ज किए गए हैं। मौके के परीक्षण के साथ ही जेसीबी चालक और बिजली काटे जाने के बिंदुओं की जांच होगी। जांच मजिस्ट्रेट एडीएम भू/राजश्व प्रमोद शंकर शुक्ला को बनाया गया है। विकास और उसके क़रीबियों पर और कड़ी कार्रवाई होगी। विकास और उसके भाई पर कुछ और मुक़द्दमे दर्ज हो सकते हैं।
 

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