अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप और चीन के शी जिनपिंग के बीच चल रहा व्यापार युद्ध हर बीतते दिन के साथ बदतर होता जा रहा है। वहीं इससे दुनिया के पहले और दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर भी हो रहा है। लेकिन इसका हिस्सा नहीं होने के बाद भी दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के लिए एक बड़ी ख़बर सामने आई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका और ड्रैगन यानी चीन के बीच चल रहे इस युद्ध का सीधा फायदा भारत को होगा अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा क्योंकि इससे देश के निर्यात में 35 फीसदी की वृद्धि होगी वहीं, सबसे अधिक फायदा यूरोपीय यूनियन को होगा जिसके पास 70 अरब डॉलर के कारोबार के आने की संभावना है संयुक्त राष्ट्र के एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है।
यूएन कॉन्फ्रेस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (यूएनसीटीएडी ) ने एक रिपोर्ट जारी की। जिसमें कहा गया कि वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध (एक दूसरे के सामानों पर शुल्क लगाना) का फायदा कई देशों को होगा। जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, फिलीपींस, पाकिस्तान और वियतनाम जैसे देश शामिल हैं। इस रिपोर्ट का टाइटल द ट्रेड वार्स: द पेन एंड द गेन है। जिसमें कहा गया है कि द्विपक्षीय टैरिफ उन देशों में काम कर रही कंपनियों के लाभ के लिए वैश्विक कॉम्पटीशन को बदल देते हैं जो उनसे सीधे प्रभावित नहीं होते हैं। इसमें कहा गया कि यूरोपीय निर्यात को 70 अरब डॉलर का फायदा होगा। जबकि जापान, कनाडा और मैक्सिको के निर्यात में सभी को 20-20 अरब डॉलर का फायदा होगा। यूएनसीटीएडी की इस रिपोर्ट में कहा गया है, अमेरिका-चीन तनाव से उन देशों को ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है, जो अधिक प्रतिस्पर्धी हैं।
बता दें कि दुनिया के बड़े देशों के बीच ट्रेड वॉर यानी व्यापारिक युद्ध छिड़ा हुआ है जिससे ये हालात इसलिए पैदा हुए क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ऐसा लगता है कि दुनिया के बड़े देश व्यापार के मामले में अमेरिका के साथ गलत कर रहे हैं। अमेरिका फर्स्ट की नीति के तहत ट्रंप ने इसे ठीक करने का फैसला लिया ये उनके चुनावी कैंपेन का भी हिस्सा था। ट्रंप ने इसकी शुरुआत चीन से की जिसके कई उत्पादों पर उन्होंने भारी शुल्क लगा दिया। जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका के खिलाफ ऐसे ही किया। अमेरिका अब तक चीन पर ख़रबों डॉलर का शुल्क लगा चुका है। जिसके जवाब में चीन ने ऐसे ही शुल्क लगा दिए हैं। ट्रंप का ये ट्रेड वॉर अमेरिका के कट्टर प्रतिद्वंदी चीन तक ही नहीं रुका बल्कि जी7 के दौरान इसने कनाडा और यूरोप जैसे अमेरिका के मित्र देशों को भी अपना शिकार बनाया। वहीं भारत के खिलाफ अमेरिका पिछले साल मार्च महीने से लेकर अब तक कई बड़े कदम उठा चुका है, इसी के जावब में भारत ने भी अमेरिका पर ड्यूटी बढ़ाने का फैसला लिया था।
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अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार से भारत को होगा फायदा