जनसंख्या को स्थिरता प्रदान करने की मुख्य वजह गरीबी को घटाना या कम करना है”।– रोजर बेंगस्टन
विश्व जनसंख्या दिवस एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का जागरूकता अभियान है, जिसे दुनिया भर में मनाया जाता है ताकि जागरूकता मिशन के तौर पर लोगो को जनसँख्या में हो रहे वृद्धि के खिलाफ जागरूक किया जा सके, एवं साल-दर-साल इस विस्फोट का कारण जानने के साथ-साथपूरी मानव बिरादरी की बड़ी गलती को हल करने का समाधान हासिल हो सके। यह महान जागरूकता अभियान विश्व स्तर पर जनसंख्या क्रांति लाने के साथ-साथ सभी गहरी नींद में सोए लोगों की नींद तोड़ने के लिए तथा अपना पूरा ध्यान देने और इस जनसंख्या मुद्दे से निपटनेमें मदद करने के लिए है।
इस वर्ष के उत्सव के लिए इस बार कोई आधिकारिक विषय नहीं है, यह मिशन बड़े पैमाने पर सरकार, संगठनों और जनता से कहता है कि यह महसूस करने की जरुरत है कि, जनसंख्या राष्ट्र के विकास में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, (कम जनसंख्या, पर्याप्तसंसाधन) कम जनसंख्या का अर्थ है सभी के लिए पर्याप्त संसाधन और किसी राष्ट्र की बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण योगदान ।
विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास
11 जुलाई को सालाना पूरे विश्व में विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में एक महान कार्यक्रम मनाया जाता है। पूरे विश्व में जनसंख्या मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता को बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद के द्वारा वर्ष 1989 में इसकी पहली बार शुरुआत हुई। लोगों के हितों के कारण इसको आगे बढ़ाया गया था जब वैश्विक जनसंख्या 11 जुलाई 1987 में लगभग 5 अरब (बिलीयन) के आसपास हो गयी थी।
2012 विश्व जनसंख्या दिवस उत्सव के थीम (विषय) के द्वारा पूरे विश्व भर में ये संदेश “प्रजनन संबंधी स्वास्थय सुविधा के लिये सार्वभौमिक पहुँच” दिया गया था जब पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग 7,025,071,966 थी। लोगों के चिरस्थायी भविष्य के साथ ही ज्यादा छोटे और स्वस्थ समाज के लिये सत्ता द्वारा बड़े कदम उठाये गये थे। प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य देख-रेख की माँग और आपूर्ति पूरी करने के लिये एक महत्वपूर्णं निवेश किया गया है। जनसंख्या घटाने के द्वारा सामाजिक गरीबी को घटाने के साथ ही जननीय स्वास्थ्य बढ़ाने के लिये कदम उठाये गये थे।
ये विकास के लिये एक बड़ी चुनौती थी, जब वर्ष 2011 में पूरे धरती की जनसंख्या 7 बिलीयन के लगभग पहुँच गयी थी। वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के संचालक परिषद के फैसले के अनुसार, ये अनुशंसित किया गया था कि हर साल 11 जुलाई को वैश्विक तौर पर समुदाय द्वारा सूचित करना चाहिये और आम लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिये विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में मनाना चाहिये तथा जनसंख्या मुद्दे का सामना करने के लिये वास्तविक समाधान पता करना चाहिये। जनसंख्या मुद्दे के महत्व की ओर लोगों का जरुरी ध्यान केन्द्रित करने के लिये इसकी शुरुआत की गयी थी।
विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है
समुदायिक लोगों के जननीय स्वास्थ्य समस्याओं की ओर महत्वपूर्णं ध्यान दिलाना संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद का लक्ष्य है क्योंकि खराब स्वास्थ्य का ये मुख्य कारण है साथ ही पूरे विश्व में गर्भवती महिलाओं की मृत्यु का भी कारण है। ये आम हो गया है कि एक बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया में रोजाना लगभग 800 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। जननीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन की ओर विश्व जनसंख्या दिवस का अभियान पूरे विश्व के लोगों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाता है।
लगभग 18 बिलीयन युवा अपने जननीय वर्ष में प्रवेश कर रहें है और ये बहुत जरुरी है कि जननीय स्वास्थ्य के मुख्य भाग की ओर उनका ध्यान दिलाया जाये। ये ध्यान देने योग्य है कि 1 जनवरी 2014 को विश्व जनसंख्या 7,137,661,1,030 तक पहुँच गयी। सच्चाई के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये ढ़ेर सारे क्रियाकलाप और कार्यक्रम के साथ सालाना विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की योजना बनायी जाती है।
इस विशेष जागरुकता उत्सव के द्वारा, परिवार नियोजन के महत्व जैसे जनसंख्या मुद्दे के बारे में जानने के लिये कार्यक्रम में भाग लेने के लिये लोगों को बढ़ावा देना, लैंगिक समानता, माता और बच्चे का स्वास्थ्य, गरीबी, मानव अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, लैंगिकता शिक्षा, गर्भनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल और सुरक्षात्मक उपाय जैसे कंडोम, जननीय स्वास्थ्य, नवयुवती गर्भावस्था, बालिका शिक्षा, बाल विवाह, यौन संबंधी फैलने वाले इंफेक्शन आदि गंभीर विषयों पर विचार रखे जाते हैं।
ये बहुत जरुरी है कि 15 से 19 वर्ष के किशोरों के बीच लैंगिकता से संबंधित मुद्दे को सुलझाया जाये क्योंकि एक आँकड़ों के अनुसार ये देखा गया कि इस उम्र के लगभग 15 मिलीयन महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया साथ ही 4 मिलीयन ने गर्भपात कराया।
विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने का लक्ष्य ----
ये लड़का और लड़की दोनों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिये मनाया जाता है।
अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह समझने के काबिल होने तक शादी को रोकना तथा लैंगिकता संबंधी पूरी जानकारी देना।
तर्कसंगत और युवा अनुकूलन उपायों के द्वारा अनचाहे गर्भ से बचने के लिये युवाओं को शिक्षित करना चाहिये।
समाज से लैंगिकता संबंधी रुढ़िवादिता को हटाने के लिये लोगों को शिक्षित करना है।
समय से पहले माँ बनने के खतरे को लेकर लोगों को शिक्षित करें।
विभिन्न इंफेक्शन से बचने के लिये यौन संबंधों के द्वारा फैलने वाली बीमारियों के बारे में उनको बताना चाहिये।
लड़कियों के अधिकारों को बचाने के लिये कुछ असरदार कानून और नीतियों की माँग हो।
लड़के-लड़कियों की एक-समान प्राथमिक शिक्षा तक पहुँच हो।
हर जोड़े के लिये आधारित प्राथमिक स्वास्थ्य के भाग के रुप में हर जगह जननीय स्वास्थ्य सेवा की आसान पहुँच हो।
विश्व जनसंख्या दिवस कैसे मनाये
बढ़ती जनसंख्या के मुद्दों पर एक साथ कार्य करने के लिये बड़ी संख्या में लोगों के ध्यानाकर्षण के लिये विभिन्न क्रियाकलापों और कार्यक्रमों को आयोजित करने के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। सेमिनार, चर्चा, शैक्षिक प्रतियोगिता, शैक्षणिक जानकारी सत्र, निबंध लेखन प्रतियोगिता, विभिन्न विषयों पर लोक प्रतियोगिता, पोस्टर वितरण, गायन, खेल क्रियाएँ, भाषण, कविता, चित्रकारी, नारें, विषय और संदेश वितरण, कार्यशाला, लेक्चर, बहस, गोलमोज चर्चा, प्रेस कॉन्प्रेंस के द्वारा खबर फैलाना, टीवी और न्यूज चैनल, रेडियो और टीवी पर जनसंख्या संबंधी कार्यक्रम आदि कुछ क्रियाएँ इसमें शामिल हैं। कॉन्प्रेंस, शोधकार्य, सभाएँ, प्रोजेक्ट विश्लेषण आदि को आयोजित करने के द्वारा जनसंख्या मुद्दों का समाधान करने के लिये विभिन्न स्वास्थ्य संगठन और जनसंख्या विभाग एक साथ कार्य करते हैं।
अंत में एक बात जोड़ना और जरुरी हैं की विश्व के साथ भारत में आबादी नियंत्रण करना बहुत मुश्किल कार्य हैं ,कारण कुछ समुदाय द्वारा आबादी बढ़ाने का बीड़ा उठाया गया हैं। दूसरी बात सरकार को २० वर्ष से ४० वर्ष की उम्र वालों में कम से कम दो बच्चे पैदा करने की अनुमति देना जरूरी हैं ,वर्तमान में स्वास्थ्य सेवाएं समुन्नत होने से मृत्यु दर कम हैं। जन्म और मृत्यु दर में बहुत अंतर होने से जनसँख्या बढ़ना लाज़िमी हैं। आबादी के कारण भारत जैसे देश में भरण पोषण के कारण अधिक खर्च होने से विकास दर धीमी हैं। इस बात पर कोई विचार नहीं कर रहा हैं।
अनचाही सब विपदाओं की ,इन सामाजिक विषमताओं की ,
जड़ में बढ़ती आबादी हैं ,गला घोटती ममताओं क।
वातावरण बदलना होगा ,फिसला कदम ,सम्हलना होगा,
जनसँख्या के भस्मासुर से ,आप बचे और देश बचाये।
आओ मिलकर कदम बढ़ाएं ,जनसँख्या पर रोक लगाएं।।
(लेखक-डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन)
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