मुंबई। धारावी में कोरोना के प्रसार को काबू करने के प्रयासों की डब्ल्यूएचओ द्वारा सराहना किये जाने के बाद बीएमसी ने कहा है कि निजी चिकित्सकों के सहयोग और सामुदायिक सहभागिता के जरिये सक्रियता से की गई स्क्रीनिंग ने इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में मदद की। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेदरोस अधानोम गेब्रेयसस ने जिनेवा में ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी को एक समय कोविड-19 हॉटस्पॉट घोषित किया गया था, अब यहां इस वायरस के प्रसार पर नियंत्रण पा लिया गया है। बीएमसी के जी उत्तरी वार्ड के सहायक आयुक्त किरण दिघावकर ने शनिवार को कहा कि नगर निकाय ने मरीजों का इंतजार करने, उनके संपर्कों का पता लगाने, पृथक-वास में भेजने और घर में पृथक करने संबंधी अपने परंपरागत दृष्टिकोण में बदलाव कर सक्रियता से स्क्रीनिंग शुरू करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, इससे मामलों का जल्द पता लगाने, समय पर इलाज और मरीजों को स्वस्थ होने में मदद मिली। उन्होंने बताया, धारावी में कम से कम छह से सात लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई, जबकि 14,000 लोगों की जांच की गई और 13,000 लोगों को चिकित्सा सुविधाओं और सामुदायिक रसोई के साथ संस्थागत पृथक-वास में भेजा गया। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार अप्रैल में मामलों के दोगुना होने की दर 18 दिन थी, जबकि मई में यह 43 दिन हो गई और जून और जुलाई में क्रमश: यह 108 और 430 दिन है। धारावी में अब तक कोविड-19 के मामलों की कुल संख्या 2,359 है। इस समय केवल 166 मरीज उपचाराधीन हैं। दिघावकर ने कहा, हमने चार टी- ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रिटिंग पर ध्यान केन्द्रित कर इस वायरस पर काबू पाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, बुजुर्ग लोगों की विशेष देखभाल की गई और 8,246 वरिष्ठ नागरिकों का सर्वेक्षण किया गया।
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धारावी में फोर टी- ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रिटिंग से पाया कोरोना प्रकोप पर काबू -सक्रियता से की गई जांच की बदौलत धारावी में महामारी से किया मुकाबला:बीएमसी