आठ पुलिस कर्मियों की शहादत का बदला आखिर पुलिस ने ले ही लिया।अब न अदालत की दरकार, न गवाही और न ही किसी सबूत की जरूरत है।क्योंकि कुख्यात विकास दुबे पुलिस हिरासत के दौरान गाड़ी पलटने से घायल पुलिस कर्मियों के बीच कथित रूप से हथियार छीनकर भागने के प्रयास के दौरान पुलिस मुठभेड़ में गोलियां लगने से मारा गया।यानि पुलिस ने उसे 'सजा -ए मौत- 'दे दी।गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार हुए मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे को लेकर पुलिस कानपुर आ रही थी। एस टी एफ पुलिस की टीम के अनुसार विकास दुबे जिस गाड़ी में सवार था, वही गाड़ी हादसे का शिकार हो गई। बर्रा थाना क्षेत्र के पास इस दुर्घटना के होने व कार पलट जाने का दावा किया गया है। इसके बाद विकास दुबे ने कथित रूप से भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में विकास दुबे मौके पर ही मारा गया।विकास दुबे के शव को मुठभेड़ के बाद कानपुर के हैलट अस्पताल में रखा गया है। एसएसपी और अस्पताल के डॉक्टरों ने विकास दुबे के मारे जाने की पुष्टि कर दी है। कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल ने भी गैंगस्टर विकास दुबे के मारे जाने को सही ख़बर बताया।
एसएसपी का दावा है कि गैंगस्टर विकास दुबे को ला रही गाड़ी पलट गई थी, वह किसी तरह बाहर निकला और घायल सिपाहियों की पिस्टल छीनकर भागने लगा। एसटीएफ के जवानों ने तत्काल मोर्चा संभालकर पहले विकास दुबे को सरेंडर करने को कहा , लेकिन उसने कथित रूप से फायरिंग शुरू कर दी, पुलिस की जवाबी फायरिंग में विकास दुबे मारा गया। एसएसपी ने 4 सिपाहियों के घायल होने का भी दावा किया है।लेकिन उनको कितनी चोटे आई यह नही बताया गया।
खराब मौसम के कारण गाड़ी पलटी और उसके बाद यह घटना हुई यह दावा करते हुए पुलिस ने बताया कि गाड़ी में विकास बीच में बैठा था, उसके अगल-बगल में कमांडो बैठे थे।पुलिस की गोली लगने से बुरी तरह घायल हुए विकास दुबे की मौके पर ही मौत हो गई ऐसा माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल मंदिर से गुरुवार को विकास दुबे पकड़ा गया था। उसकी गिरफ्तारी बड़े फिल्मी अंदाज में हुई थी।उज्जैन पुलिस की माने तो विकास दुबे महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचा था। पहले फूल बेच रहे माली को उस पर शक हुआ, फिर मंदिर के गार्ड ने विकास दुबे की पहचान की।
इसके बाद स्थानीय पुलिस को बुलाया गया, जिसकी पूछताछ में पहले विकास दुबे ने अपना नाम शुभम बताया, लेकिन बाद में खुद को घिरा देखकर उसने चिल्लाया कि मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला. इसके बाद उज्जैन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और देर रात उसे यूपी एसटीएफ को सौंप दिया गया। कानपुर के बिकारू गांव के रहने वाले विकास दुबे ने हाल ही में आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या की थी।इससे पूर्व 60 से अधिक संगीन अपराधों में आरोपी विकास दुबे को पकड़े के लिए पुलिस टीम उसके घर गई थी, तभी स्थानीय पुलिस की भीतरघात के कारण पहले से घात लगाए विकास दुबे और उसके गुर्गों ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। 200 से 300 राउंड की फायरिंग पुलिस वालों पर की गई थी। इस हमले में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।जबकि आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या के बाद विकास दुबे और उसके गुर्गे फरार हो गए थे। विकास दुबे की तलाश में पूरे प्रदेश को छावनी में बदल दिया गया था लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश पुलिस उसे नही पकड़ सकी और वह मध्यप्रदेश के उज्जैन पहुंच गया।जहां घटना के 7 दिन बाद विकास दुबे की महाकाल मंदिर से गिरफ्तारी हुई थी।
कुख्यात विकास दुबे के उज्जैन महाकाल मंदिर से पकड़े जाने के बाद मध्यप्रदेश के एक मंत्री को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कहा जा रहा है कि विकास दुबे मप्र के एक मंत्री के संपर्क में था। यह मंत्री सन 2019 के लोकसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र से भाजपा के पदाधिकारी भी रहे ।
माना जा रहा है कि विकास दुबे अपने इसी लिंक की वजह से सही सलामत उज्जैन पहुंचा था और वहां उसने अपने को नाटकीय अंदाज में पुलिस के हवाले कर दिया। चर्चा है कि विकास दुबे का मप्र की सरकार के कुछ और लोगों से पुराने सम्बंध हैं ,जिसकी वजह से उसकी गिरफ्तारी की पूरी कहानी उज्जैन में रची गई।पकड़े जाने से पहले करीब 150 घंटे तक विकास दुबे पुलिस को छकाता रहा। पूरे उत्तर प्रदेश में उसकी तलाश जारी थी तो वह भागकर दिल्ली पहुंच गया। यहां से हरियाणा के फरीदाबाद गया और वहां के एक होटल में रुका। सीसीटीवी फुटेज में उसकी तस्वीरें भी आईं। इस दौरान विकास दुबे पुलिस से एक कदम आगे ही रहा। जैसे उसे लगातार इंफॉर्मेशन मिल रही हो पुलिस की गतिविधियों की। जब पुलिस का शिकंजा कसना शुरू हुआ तो विकास के किसी न्यूज चैनल में सरेंडर की बात भी उड़ी। आखिर सबको चकमा देकर विकास दुबे मध्य प्रदेश के उज्जैन जाने में सफल हो गया।शायद विकास दुबे को उम्मीद थी कि महाकाल उसकी जान बख्श देंगे।परन्तु उसे एक ही दिन का जीवन दान मिल पाया और कानपुर ले जाते समय रास्ते मे ही पुलिस की गोलियों से उसका काम तमाम हो गया।वही बीते एक सप्ताह में उसके पांच साथी भी पुलिस की गोलियों का निशाना बना गए है।इस प्रकार अपराध एक विकास दुबे अध्याय का अंत हो गया है।
(लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)
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(त्वरित टिप्पणी) पुलिस की शहादत का बदला 'सजा -ए -मौत'