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 दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या में तेजी से आई कमी

 दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या में तेजी से आई कमी

नई दिल्ली । दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या में तेजी से कमी आई है। जून में मृत्यु दर 3.64 फीसदी थी, जो जुलाई में घटकर 3.02 फीसदी हो गई है। प्रतिदिन मौतों की संख्या भी औसतन 46 रह गई है जो जून मध्य में 90 तक पहुंच गई थी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने पेश किए गए 15 दिन की डेथ ऑडिट रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। डेथ ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि 23 जून के बाद से मौत के आंकड़ों में लगातार गिरावट जारी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग को एक पखवाड़े में हुई मौत के कारणों का आकलन करने का निर्देश दिया था। विभाग ने 24 जून से 8 जुलाई के बीच जब मौत के आंकड़ों का आकलन किया तो पता चला कि इस दौरान 691 लोगों की मौत हुई है। इसमें से 505 लोग इलाज कराने तब पहुंचे, जब उनकी हालत गंभीर थी। इसमें 291 ऐसे लोग थे, जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो यह अस्पताल में भर्ती थे। यह पहले से किसी न किसी गंभीर बीमारी का इलाज करा रहे थे। डेथ ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक होम आइसोलेशन में 24 से 30 जून के बीच सात कोरोना मरीजों की मौत हुई। यानी एक जुलाई के बाद दिल्ली में होम आइसोलेशन में मौत का आंकड़ा शून्य है। इसके पीछे ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन घर पर उपलब्ध कराने को वजह बताया गया है। दिल्ली सरकार ने 59 हजार से अधिक ऑक्सीमीटर खरीदे है, जिनमें से 58 हजार का इसमें प्रयोग हो चुका है। 
डेथ ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अस्पताल में भर्ती न करने या देरी के कारण भी 28 लोगों की मौत हुई है। इस पर अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस समस्या को खत्म करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की मौत को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाएं जाएं। डेथ ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में सभी मौत अस्पतालों में हो रही है। होम आइसोलेशन में मरने वालों की संख्या शून्य हो चुकी है। इसलिए अब जरूरत है कि सभी अस्पतालों के प्रबंधन व्यवस्था की विस्तृत जांच की जानी चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि प्रत्येक अस्पताल में छुट्टी पाने वाले मरीजों की कुल संख्या में मृत्यु के अनुपात की रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि कम अनुपात का मतलब अस्पताल का बेहतर प्रबंधन होगा। इन अस्पतालों में अच्छी प्रथाओं का अध्ययन किया जाए और दूसरे अस्पतालों में लागू किया जाएं, जिससे मौत के आंकड़ों को और कम किया जा सके।
 

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