चंडीगढ़। असत्य तथा भ्रामक समाचारों से समाज में शांति भेग की आशंका को देखते हुए हरियाणा में सोशल मीडिया समाचार प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 6 उपायुक्तों ने अपने अधिकार क्षेत्र में इसे बैन किया है। विपक्ष व मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं ने इसे अघोषित आपातकाल और सोशल मीडिया की आवाज को चुप कराने का प्रयास बताया है। साथ ही बैन हटाने की मांग भी की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्राम, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, पब्लिक ऐप और लिंक्डइन पर आधारित सभी सोशल मीडिया समाचार प्लेटफॉर्म को बैन किया गया है। सोनीपत, कैथल, चरखी दादरी, करनाल, नारनौल और भिवानी के डीसी द्वारा ये बैन लगाया गया है। इसमें भी करनाल डीसी ने 15 दिनों के लिए प्रतिबंध लगाया है, जबकि अन्य पांच ने अगले आदेश तक प्रतिबंध लगा दिया है।
इसी तरह का पहला आदेश चरखी दादरी डीसी ने 12 मई को जारी किया था। इसके बाद अब ताजा आदेश 10 जुलाई को करनाल डीसी ने जारी किया है। जानकारी के मुताबिक सोनीपत में किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने समाचार चैनल के रूप में कार्य करने की अनुमति नहीं ली है। उन्हें न तो हरियाणा सरकार के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय से पंजीकरण मिला और न ही केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय से कोई अनुमति दी गई है। प्रतिबंध आईपीसी की धारा 188, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी रोग अधिनियम, 1957 के तहत लगाए गए हैं। यह भी उल्लिखित किया गया है कि इन कानूनों का उल्लंघन करने पर जेल की सजा और जुर्माना भी लग सकता है। मानवाधिकार कार्यकर्ता सुखविंदर नारा ने इन धाराओं को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया है।
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हरियाणा के 6 जिलों में सोशल मीडिया न्यूज प्लेटफॉर्मों पर बैन -विपक्ष व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा- अघोषित आपातकाल