नई दिल्ली । कोरोना वायरस महामारी के कारण तनाव बढ़ रहा है। पहले लॉकडाउन और उसके बाद भी चल रही कई तरह की पाबंदियों के चलते लोग भले ही घर पर हों, लेकिन उनके मन में एक भय और तनाव जरूर है। इस महामारी ने लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर रखा है। विशेषज्ञों के अनुसार, मानसिक तनाव का तन और मन दोनों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे कई शारीरिक और मानसिक बीमारियां जन्म लेती हैं।
लोगों का यह तनाव उन्हें पेट दर्द की समस्या भी दे रहा है। तनाव की वजह से पेट में एसिड ज्यादा बनने लगता है और इससे कई समस्याएं होने लगती हैं। तनाव के कारण पेट में दर्ज, गैस, सूजन, खिचांव और पेट खराब होने की शिकायत होती है। आंतें, तनाव और भावनाओं के प्रति संवेदनशील होती हैं और इसलिए तनाव होने पर पेट की सेहत पर सबसे ज्यादा असर होता है। इन दिनों कोरोना वायरस के लेकर लोगों के संक्रमित होने की खबरें, उनकी मौत की खबरें एक नकारात्मक माहौल बना रही हैं और ऐसे में कोशिश के बावजूद कहीं न कहीं तनाव की स्थिति है।
विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव इरिटेबल बाउस सिंड्रोम का कारण भी बन सकता है। यह एक आम विकार है जो बड़ी आंत यानी कोलन को प्रभावित करता है। इससे ग्रसित अधिकांश लोग यह अनुभव करते हैं कि अधिक तनाव के दौरान उनके संकेत और लक्षण निरंतर या अधिक गंभीर हो जाते हैं। तनाव लक्षणों को गंभीर रूप से बढ़ा सकता है। तनाव से बचने अपने पेट की सुरक्षा के लिए ऐसे तनाव के समय में आहार पर विशेष ध्यान दें। सब्जियां, फल, नट और साबुत अनाज का सेवन करें। अपने भोजन में अंडे या डेयरी प्रोडक्ट भी शामिल कर सकते हैं। अपने भोजन के साथ-साथ स्नैकिंग के लिए एक शेड्यूल बनाना चाहिए ताकि बहुत अधिक खाने पर नियंत्रण रख पाएं और गैस्ट्रिक जैसे लक्षणों को बढ़ने से रोकें।
तनाव के दौरान पर्याप्त नींद लेना बहुत महत्वपूर्ण है। यह शरीर को लक्षणों और तनाव से उबरने में मदद करता है। इन दिनों सोफे पर बैठकर और टीवी देखते हुए कितना भी समय बीता लें लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप सक्रिय रहें। घर पर रहते हुए थोड़ी सी कसरत बड़े काम की रहेगी। सक्रिय रहने से अच्छा महसूस करते हैं और महामारी का सामना करने के लिए तैयार होते हैं, तनाव को कम करते हैं और इस तरह तनाव से संबंधित पाचन समस्याओं को कम करते हैं। किन्हीं भी परिस्थितियों में खुश रहना तनाव से लड़ने का हथियार है। भले ही इन दिनों सोशल डिस्टेंसिंग कर रहे हों, लेकिन वीडियो कॉल के माध्यम से अपने परिवार और दोस्तों से संपर्क बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यह बहुत बेहतर महसूस कराता है और याद दिलाता है कि हर कोई इसमें एक साथ है।
दिन के दौरान कुछ समय के लिए डायाफ्रामिक ब्रीदिंग करें। डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग में नाक से सांस ली जाती है और मुंह से सांस छोड़ी जाती है। यह नसों को शांत करने के लिए अच्छा है और फेफड़ों के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद करता है। सुनिश्चित करें कि सांस लेने के लिए अपने पेट का इस्तेमाल करते हैं। इसे जांचने के लिए, एक हाथ अपने पेट पर और दूसरा अपनी छाती पर रखें। जैसे ही आप सांस लेते हैं पेट पर हाथ पेट के साथ अंदर और बाहर जाना चाहिए।
आरोग्य
कोरोना ने पैदा किया तनाव, तनाव का तन और मन दोनों पर पड़ रहा बुरा असर