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कभी लगता था, 90 प्रतिशत पार कर पाएंगे, तो बड़ी बात होगी: मनीष सिसोदिया

कभी लगता था, 90 प्रतिशत पार कर पाएंगे, तो बड़ी बात होगी: मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली । दिल्ली के , उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कुशल मार्गदर्शन मिलने पर अभार जताते हुए कहा कि आपके मार्गदर्शन में दिल्ली सरकार के सभी शिक्षकों ने पिछले 5 साल में बहुत मेहनत की है और आज इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सी.बी.एस.ई. के 12वीं के बच्चों के नतीजे 98 प्रतिशत आए हैं। जब 2015 में ‘आप’ सरकार बनी, तो उस समय 80, 85, 86 प्रतिशत नतीजे आते थे। उस समय ऐसा लगता था कि कभी 90 प्रतिशत पार कर पाएंगे, तो बड़ी बात होगी। लेकिन फिर 94 प्रतिशत और आज 98 प्रतिशत और असफल रहे 2 प्रतिशत बच्चों को भी खूब मेहनत कराएगें, ताकि 100 प्रतिशत नतीजे हो जाएं। 
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमारे यहां बहुत सारे बच्चे ऐसे होते हैं, जिनके यहां पहली पीढ़ी पढ़ाई कर रही है या 12वीं पास कर रही होती है। वो बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और देश के कोने-कोने से आकर के दिल्ली में रह रहे हैं। अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं, मजदूरी कर रहे हैं, अपना काम कर रहे है, उनके घर में बच्चों का स्कूल में पढ़ना और अच्छे नंबर लाकर पास होना बहुत बड़ी बात है। 
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि पहले बहुत सारे स्कूल ऐसे भी होते थे, जिनके 50 या 40 प्रतिशत नतीजे आते थे। बहुत बड़ी संख्या में स्कूलों के नतीजे 60 से 70 प्रतिशत से कम बच्चे पास होते थे। लेकिन इस बार हमारे 916 स्कूलों में से 897 स्कूल ऐसे हैं (कुल 19 स्कूलों को छोड़ दें), तो सारे स्कूलों में 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे पास हुए हैं। इसमें से 396 स्कूल ऐसे हैं, जहां 100 प्रतिशत बच्चे पास हुए हैं। पिछले साल 203 स्कूल ऐसे थे, जहां पर 100 प्रतिशत बच्चे पास हुए थे। इस बार बढ़कर 396 हो गये हैं। हमारे लिए यह प्रतिशत बहुत मनोबल बढ़ाने वाला है। बहुत सारे इलाके में स्कूल हमें पिछड़े माने जाते थे, अब उनका उत्तीर्ण होने का प्रतिशत भी 90 से ऊपर चला गया है। सिर्फ उत्तीर्ण होने का प्रतिशत ही नहीं बढ़ रहा है, बल्कि उनके बच्चों के नंबर कितने आते हैं, यह भी उनके लिए मायने रखता है। उसका एक क्वाल्टि इंडेक्स बनता है, जिसे क्यूआई कहते हैं। वह भी जारी होता है। क्यूआई पर देखें, तो 2018 में 291 क्यूआई था, यानी बच्चों के कितने नंबर आ रहे हैं। पास होने वाले बच्चों के नंबर वही 40-50 आ रहे हैं या 90, 94, 95 या 98 प्रतिशत तक आ रहे हैं। उस आधार पर इंडेक्स बनता है। पिछले साल 291 से इसका औसत 306 हुआ और इस साल 341 औसत है। 
 

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