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 भाजपा में लैंड नहीं करेंगे पायलट, बना सकते हैं नई पार्टी

 भाजपा में लैंड नहीं करेंगे पायलट, बना सकते हैं नई पार्टी

नई दिल्ली । कांग्रेस के बागी सचिन पायलट को लेकर भाजपा अपने पत्ते नहीं खोल रही। हालांकि पूरी संभावना है कि पायलट फिलहाल भाजपा में आने के बदले कांग्रेस में सीएम गहलोत विरोधी विधायकों की संख्या बढ़ाने पर काम करेंगे। उनकी रणनीति कांग्रेस में रह कर खुद की छवि प्रताडि़त नेता की बनाने की है। अगर कांग्रेस ने पार्टी से निकाला तो पायलट नई पार्टी का विकल्प चुनेंगे। हालांकि उनका अंतिम पड़ाव भाजपा ही होगा। हालांकि कांग्रेस से बगावत के बाद पायलट लगातार भाजपा नेतृत्व के संपर्क में हैं। मगर समस्या संख्या बल का है। पायलट सिंधिया की तरह गहलोत सरकार को गिराने लायक जरूरी विधायक नहीं जुटा पाए। इस कारण भाजपा को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पायलट हर हाल में भाजपा के लिए लाभ का सौदा हैं। उनकी अपनी स्वजातीय गुर्जर बिरादरी में बेहतर पकड़ होने के साथ मीणा बिरादरी में भी अच्छी पैठ है। हालांकि अगर तत्काल पायलट को भाजपा में शामिल कराया गया तो उनके समेत उनके समर्थक विधायकों को इस्तीफा देना होगा। ऐसे में रणनीति है कि पायलट फिलहाल बगावती तेवर अपनाए रखें और अपने बारे में फैसला करने का मामला कांग्रेस के जिम्मे छोड़ दें।
मध्यप्रदेश और राजस्थान की स्थिति अलग
भाजपा सूत्रों का कहना है कि सचिन अति आत्मविश्वास का शिकार हो गए। पायलट को लगा था कि उनके साथ कम से कम 30 विधायक बगावत करने के लिए तैयार हैं। हालांकि वास्तविक स्थिति इससे उलट थी। गहलोत को इसकी पूर्व सूचना थी और उन्होंने पायलट की रणनीति को ध्वस्त करने के लिए बड़ी रणनीति बनाई और इसमें सफल हो गए। जबकि मध्यप्रदेश में सिंधिया ने करीब चार महीने तक अपने संपर्क वाले विधायकों से लगातार संपर्क बनाए रखा। बगावत पर तब उतरे जब इन विधायकों का साथ हासिल होने के मामले में पूरी तरह आश्वस्त हुए।
वसुंधरा के समर्थकों को मनाना होगा
सचिन पायलट अभी नहीं मगर अंतिम समय में भाजपा का दामन थामेंगे। वह भी तब जब वह गहलोत सरकार को गिराने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या के प्रति पूरी तरह आश्वस्त होंगे। इस बीच भाजपा को भी अपने स्तर पर कई गुत्थियां सुलझानी होंगी। खासकर वसुंधरा राजे का मन टटोलना होगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में करीब 45 विधायक वसुंधरा के अंधभक्त हैं। ऐसे में उन्हें साधे बिना भाजपा अपनी किसी भी भावी रणनीति को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाएंगी।
 

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