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पश्चिम बंगाल के बालुरघाट सीट पर टीएमसी-बीजेपी में होगी टक्कर

पश्चिम बंगाल के बालुरघाट सीट पर टीएमसी-बीजेपी में होगी टक्कर

 प‎‎श्चिम बंगाल में इस बार मुकाबला सीधे तौर पर टीएमसी और बीजेपी के बीच माना जा रहा है। यहां की बालुरघाट लोकसभा सीट पर मतदान 23 अप्रैल को है ।यहां पर 2014 में टीएमसी प्रत्याशी अर्पिता घोष ने जीत हासिल की थी।  टीएमसी ने इस बार भी अर्पिता घोष पर ही भरोसा जताया है। इस बार यहां बीजेपी और कांग्रेस भी मुकाबले में है। बीजेपी की ओर से सुकान्त मजूमदार कैंडिडेट हैं।  वहीं कांग्रेस ने अब्दुस सादिक सरकार को टिकट दिया है। सीपीआई (एमएल) की ओर से मानस चक्रबर्ती मैदान में हैं।  इस सीट पर शिवसेना, बहुजन समाज पार्टी,  सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया, झारखंड मुक्ति मोर्चा के कैंडिडेट भी चुनाव लड़ रहे हैं।  बीजेपी इस बार पश्चिम बंगाल के लोकसभा चुनाव में पूरी ताकत लगा रही है, लिहाजा यहां के चुनाव में गर्मी बढ़ गई है। 
बता दें दक्षिणी और उत्तर दिनाजपुर जिलों में आने वाली बालुरघाट लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 1977 तक कांग्रेस का कब्जा रहा है।  1977 के बाद यह सीट वाम खेमे में चली गई और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी का 2009 के आम चुनावों तक इस पर दबदबा रहा। हालांकि 2014 में इस सीट की तस्वीर बदली और तृणमूल कांग्रेस इस सीट से जीत हासिल करने में कामयाब रही।  2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल की जिन सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है उनमें ज्यादातर उत्तरी बंगाल, दक्षिण बंगाल और जंगलमहल के जनजातीय वर्चस्व वाले जिले की हैं।  भाजपा मुख्य रूप से बालुरघाट, कूच बिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, मालदा, पुरुलिया, झारग्राम, मेदिनीपुर, कृष्णानगर, हावड़ा सीट पर नजरें जमाए हुए है। इस लिहाज से देखा जाए तो बालुरघाट सीट पर सबकी नजर रहेगी। 
बालुरघाट लोकसभा सीट को 1962 तक पश्चिमी दिनाजपुर के नाम से जाना जाता था जिस पर 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के सुशील रंजन चट्टोपध्याय सांसद चुने गए थे।  1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सेलकु मार्दी चुनाव जीते।  वहीं 1962 में पश्चिमी दिनाजपुर सीट का नाम बदलकर बालुरघाट कर दिया गया।  उस दौरान हुए आम चुनाव में माकपा के टिकट पर सरकार मुर्मू सांसद चुने गए थे।  1967 के चुनाव में फिर कांग्रेस को विजय मिली और जेएन  परमानिक सांसद चुने गए।  1971 के चुनाव में कांग्रेस के रसेंद्रनाथ बर्मन चुनाव जीते उसके बाद तो यह सीट रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के खाते में चली गई। 1977 से 1991 तक रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के पलाश बर्मन लगातार चुनाव जीतते रहे। 1996 के चुनाव में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने नए उम्मीदवार रानेन बर्मन को चुनाव मैदान में उतारा और वह 2004 तक यहां से चुनाव जीतते रहे। 2009 के आम चुनावों में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने फिर उम्मीदवार बदला और प्रशांत कुमार मजूमदार मैदान में उतरे और जीते। 2014 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की अर्पिता घोष चुनाव जीतीं।  इस सीट के चुनावी पैटर्न को देखा जाए तो यहां के मतदाता कई साल तक एक ही पार्टी और एक उम्मीदवार पर विश्वास जताते रहे हैं।  जनगणना 2011 के अनुसार बुलारघाट लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल आबादी 19,79,954 है जिनमें 87.76 प्र‎तिशत और 12.24 प्र‎तिशत  शहरी जनता शामिल है। कुल आबादी में अनुसूचित जाति और जनजाति की जनसंख्या का अनुपात क्रमशः 28.33 और 15.19 फीसदी है। 2017 की मतदाता सूची के अनुसार बुलारघाट संसदीय क्षेत्र में 1347893 मतदाता हैं जो 1487 बूथों पर वोटिंग करते हैं। 2014 के आम चुनावों में 84.77प्र‎तिशत जबकि 2009 के लोकसभा चुनावों में 86.65 प्र‎तिशत फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को 38.53 प्र‎तिशत, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को 28.47प्र‎तिशत और भाजपा को 20.98 प्र‎तिशत वोट मिले। वहीं 2009 के चुनावों में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को 44.38 फीसदी, तृणमूल कांग्रेस को 43.79 फीसदी और बीजेपी को 6.82 फीसदी मिले थे। भाजपा का बढ़ता जनाधार बताता है कि आगामी चुनाव तृणमूल कांग्रेस सहित बाकी दलों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। 

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