ऑनलाइन शिक्षा की प्रक्रिया में फायदें और नुकसान दोनों ही शामिल हैं। ऑनलाइन स्टडी छात्रों के लिए अच्छा नहीं है ऑनलाइन अध्ययन के कई फाँयदों के बावजूद इसके ढ़ेरों नुकसान भी है।
इस बात को एक उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता हैं। एक बार एक पत्रकार द्वारा साक्षात्कार के दौरान पूछा गया कि वर्तमान में ईबुक का चलन हैं फिर आप अपनी पुस्तकें क्यों प्रकशित कराते हैं ?उसका उत्तर यह दिया कि एक फोटो मेरे पिताजी कि दीवाल पर लगी हैं औरवे मेरे साथ बैठे हैं ,दोनों में कितना अंतर हैं ?जो जीवंत मेरे साथ बैठे हैं वह अनुभूति अलग होती हैं और फोटो कि अनुभूति अलग होती हैं।
शिक्षा हमेशा गुरु मुख से प्रत्यक्ष में दी जाने से अधिक सार्थक और प्रभावशाली होती हैं। पर वर्तमान में जो मोबाइल ,लेपटॉप आदि के द्वारा एक आभासी ज्ञान दिया जाता हैं वह उतना प्रभावकारी नहीं होता हैं।
एक ऑनलाइन अध्ययन की सफलता आपके खुद के आचरण पर निर्भर करता है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो। किसी भी ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया सफल हुई या नहीं यह बात केवल आपके सीखने की उत्सुकता पर ही निर्भर करती है, हो सकता है कि आपका अध्यापक आपको न देंख सकें, यह आपकी स्वतंत्रता पर निर्भर करता है कि आप सीखने के कितने इच्छुक है। आप खुद के मन को कैसे नियंत्रित कर उस कक्षा से कितना सीखते है यह आप पर निर्भर करता है।
यह ऑनलाइन अध्ययन की एक महत्वपूर्ण कमियों में से एक है। ऑनलाइन कक्षा में रहते हुए आपका ध्यान हमेशा के लिए उपर होनी चाहिए, उसके लिए आप कक्षा में स्वतंत्र नहीं है। आप ऑनलाइन कक्षा के प्रति कितने ईमानदार है यह आपकी उपस्थिति पर निर्भर करता है। ऐसी कक्षा में सभी छात्र पर ध्यान देना शिक्षक के लिए संभव नहीं है।
अक्सर एक ऑनलाइन कक्षा में विषय के उस बिन्दु पर चर्चा की जाती है जिस विषय में चर्चा की जानी होती है। आमतौर की कक्षाओं में शिक्षक जहां अपनी निजी तथ्य और जोक्स भी शामिल करता है, ऑनलाइन कक्षा में इसकी कमी रहती है। कक्षा में जहां शिक्षक कई अन्य बातों के बारे में भी बात कर सकता है वही वह ऑनलाइन कक्षा में केवल विषय से सम्बन्धित बाते ही बताता है।
ऑनलाइन अध्ययन में कक्षाओं के संचालन के लिए इलेक्ट्रानिक स्क्रीन गैजेट्स की आवश्यकता होती है। छात्रों को लम्बे समय तक, कभी-कभी 2 से 3 घंटे तक लगातार स्क्रीन पर देखना पड़ता है। इस तरह लम्बे समय तक स्क्रीन के ऊपर देखने के कारण हमारे स्वास्थ्य के प्रतिरोधक क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके कारण कुछ छात्रों में सिरदर्द और आंखों की समस्या देखने को मिलती है।
हाँलाकि शिक्षक और छात्रों के बीच ऑनलाइन कक्षा में बातचीत की कोई सीमा तय नहीं की गई है, फिर भी यहाँ एक सीमित मात्रा में बात की जाती है। एक शिक्षक को सभी छात्रों के प्रश्नों के उत्तर देने पड़ते है इस कारण शिक्षक छात्रों को बस कुछ मिनट ही दें पाता है, इसके लिए वह बाध्य होता है।
आभासी दुनिया और वास्तविक दुनिया में सामान्य रूप से अंतर देखने मिलता हैं। कक्षा में शिक्षक जितना ध्यान बच्चों के ऊपर दे सकता हैं ,उनके मनोभावों को समझ सकता हैं वह आभासी दुरी से संभव नहीं हैं। इसके साथ आमने सामने जोवार्तालाप होता हैं उसका प्रभाव लम्बे समय तक रहता हैं। जैसे सिनेमा देखने के बाद कितनी बातें याद रहती हैं।
ऑनलाइन अध्ययन का तरीका कुछ मामलों में पूर्ण नहीं है। यह तो निश्चित है कि इसके अपने कई नुकसान है, पर कुछ महत्वपूर्ण परिस्थितियों में यह हमारे बहुत फायदेमंद साबित हुआ है। जैसे कि कोविड-19 महामारी में लॉकडाउन होने के उपरान्त यह कई स्कूल और बहुत सारें छात्रों के लिए एक आशिर्वाद के रूप उन्हे मिला है।
लाभ जरूर हैं ,बहुत जरूर हैं पर कितने सार्थक हैं यह सबको अहसास हैं। काल्पनिक दुनिया का प्रभाव क्षणिक रहता हैं। आपातकाल में इसका उपयोग किया जा रहा हैं पर इसका लाभ कितना हैं यह बच्चों और अभिभावकों से जानना जरुरी हैं। इस समय स्कूल वाले अपनी फीस वसूलने के लिए यह प्रयोग कर रहे हैं। वास्तविक धरातल पर इसका लाभ अपेक्षित नहीं मिल रहा हैं और न मिलेगा। जहाँ पर सीधा संपर्क आवश्यक हैं उसे नकार नहीं सकते।
इसके कारण स्वास्थ्य और समय की बर्बादी हो रही हैं कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होगी। और इंटरनेट के व्यसनी होने पर अन्य तरह की पोस्ट देखने से आप रोक नहीं सकेंगे जिसके दुष्प्रभाव भविष्य में दिखाई देंगे। इस विषय पर पुर्नविचार किया जाना अपेक्षित हैं।
तकनिकी अभिशाप के साथ वरदान भी हैं।
(लेखक-डॉ.अरविन्द प्रेमचंद जैन)
आर्टिकल
(चिंतनीय विषय ) ऑनलाइन स्टडी ---छात्रों को कितनी लाभकारी?