जयपुर । राजस्थान में पल पल बदल रहे राजनैतिक घटनाक्रम के बीच गहलोत-पायलट गुट की लड़ाई तीन फ्लोर पर लड़ी जा रही है पहली कोर्ट, दूसरी विधानसभा, तीसरी बहुमत के लिए विधायकों की संख्या अपने अपने पक्ष में बताना। तीनों फ्लोरों में से विधानसभा में बहुमत सिद्ध करना सरकार बचाने के लिए प्रथम दृष्टया उपाय राजनैतिक विश्लेक और संविधान के जानकार बता रहे है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गहलोत की सरकार को गिराने के लिए चली जा रही है शतंरज के दावपेंचो में पायलट गुट भी यही चाह रहा है कि गहलोत की सरकार सत्ता से ऐनकेन प्रकारेण बेदखल हो जायें। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधायकों की गणित पर भरोसा है शायद इसलिए उन्होने पिछली रात महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर उन्हें अपने पक्ष में 103 विधायकों का साफ समर्थन है का पत्र सौपा बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस बाबत् कांग्रेस के 88, बीटीपी के 2, सीपीएम के 2, आरएलडी के 1, निर्दलीय 10 विधायकों का समर्थन बताया है। तभी से चर्चाएं शुरू हो गई है कि दोनो की सुनवाई सोमवार को होगी और परिणाम मंगलवार को आयेगा के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसा की भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया व अन्य गहलोत को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कह रहे है पर जिस प्रकार से अशोक गहलोत अपने पक्ष में फेयरमाउंट में पक्ष में 102 विधायकों की संख्या बता रहे है उसके मुताबिक बुधवार को अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो गहलोत सरकार को सत्ता से बेदखल करने का मंसूबा सचिन पायलट एण्ड पार्टी का अधूरा रह जायेगा। चूंकि जिस प्रकार पिछले एक सप्ताह से समूचा घटनाक्रम में कई मोड आ गए है उसके बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा फ्लोर टेस्ट कराये जाने के पीछे माना जा रहा है कि विधायको पर उनकी मजबूत पकड है और वोटिंग के जरिए विधायकों को भी वो अपने खेमे में शामिल कर सकते है उन्हे क्योंकि अभी साफ नहीं है पायलट के खेमे में जो विधायक है वो पूरी तरह उनके साथ है अथवा नहीं है। दूसरी तरफ सूत्र बताते है कि विधानसभा सत्र बुलाने से बागी विधायक भी फ्लोर टेस्ट में भाग ले सकते है। स्पीकर सीपी जोशी का कहना है कि उन्हें 18 विधायकों को डिसक्वालीफाई करने का अधिकार है अगर ऐसा होता है तो फिर गहलोत को फ्लोर टेस्ट में कोई नहीं हरा सकता।
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गहलोत को सत्ता से बेदखल कर पाना आसान नहीं - राजस्थान में पल पल बदल रहा घटनाक्रम