YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

रीजनल नार्थ

 विधायकों की याचिका पर हाईकोर्ट  सुना सकता है फैसला

 विधायकों की याचिका पर हाईकोर्ट  सुना सकता है फैसला

नई दिल्ली । राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच हाईकोर्ट   सचिन पायलट और उनके गुट के 18 बागी विधायकों की याचिका पर फैसला सुना सकता है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सहित 19 विधायकों ने अयोग्य करार देने के लिए विधानसभा के स्पीकर द्वारा जारी नोटिस के खिलाफ याचिका दी थी। याचिका पर शुक्रवार और  मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की पीठ ने दलीलें सुनीं।  वहीं, कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी होने वाली है। सोमवार को सुनवाई के दौरान स्पीकर की तरफ से पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि याचिका समय से पहले है, क्योंकि विधायकों को सदन से अयोग्य घोषित करने पर अभी फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि स्पीकर द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर अदालत द्वारा हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं है। सिंघवी ने कहा कि जहां तक विधानसभा और स्पीकर की शक्ति की बात है तो स्पीकर सर्वोच्च है। स्पीकर की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या स्पीकर बिना किसी कारण और रिकॉर्डिंग के बिना इस तरह अयोग्यता की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी करने के लिए बाध्य है? इसपर सिंघवी ने तर्क दिया कि कारणों को दर्ज करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह केवल कारण बताओ नोटिस था। विधायकों को नोटिस दिए जाने के बाद पार्टी ने स्पीकर से शिकायत की थी कि ये विधायक पिछले सप्ताह सोमवार और मंगलवार को दो हुई विधायक दल की बैठक में शामिल नहुं हुए थे। हालांकि, पायलट शिविर का तर्क है कि पार्टी व्हिप तभी लागू होती है जब विधानसभा सत्र होता है। स्पीकर को अपनी शिकायत में कांग्रेस ने संविधान की 10 वीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (ए) के तहत पायलट और अन्य असंतुष्टों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। यदि वे स्वेच्छा से सदन में प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी की सदस्यता छोड़ देते हैं तो यह प्रावधान विधायकों को अयोग्य ठहराता है। गहलोत के खिलाफ बगावत के बाद पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष के रूप में बर्खास्त कर दिया गया था
 

Related Posts