जो लोग बचपन से ही सनस्क्रीन का उपयोग करते आ रहे हैं, उनमें आगे जाकर त्वचा कैंसर का खतरा काफी कम होता है। सूरज की हानिकारक किरणों से त्वचा को बचाने और अपनी रंगत बरकरार रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला सनस्क्रीन त्वचा कैंसर के खतरे को 40 प्रतिशत तक घटा सकता है। एक शोध में सामने आया है कि बचपन में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से 18-40 वर्ष के युवाओं में त्वचा कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर प्रत्येक वर्ष में नॉन-मेलेनोमा त्वचा कैंसर के 20 से 30 मामले और मेलेनोमा त्वचा कैंसर के 1,32,000 मामले सामने आते हैं। मेलेनोमा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि मेलानोमा का विकास का मुख्य कारण सूर्य से सीधा संपर्क यानी खुली जगह पर धूप सेंकना और सनबर्न माना जाता है। आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में सहायक प्राध्यापक और शोधार्थी, एनी कस्ट ने कहा कि विशेष रूप से बचपन में मेलानोमा के जोखिम का मुख्य कारण सूर्य की किरणों से सीधा संपर्क और सनबर्न को माना जाता रहा है, लेकिन इस अध्ययन से पता चला है कि नियमित रूप से सनस्क्रीन का उपयोग सूर्य के संपर्क के हानिकारक प्रभावों से रक्षा करता है। कस्ट ने कहा कि लोगों द्वारा नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाना अभी भी मुश्किल है और ऐसा करने की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि संभावित रूप से सनस्क्रीन के नियमित उपयोगकर्ता ब्रिटिश या उत्तरी यूरोपीय महिलाएं और युवा होते हैं या फिर उच्च शिक्षा स्तर वाले लोग, हल्की त्वचा वाले और सनबर्न के सबसे ज्यादा शिकार होने वाले लोग शामिल हैं। इस शोध के लिए 18 से 40 साल के बीच के 1,800 लोगों पर सर्वेक्षण किया गया था।
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त्वचा कैंसर से बचाती है सनस्क्रीन - बचपन से इसके उपयोग से 40 फीसदी खतरा कम