कानपुर । पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अपराधी विकास दुबे का एक ऑडियो वायरल हो रहा है। इसमें विकास दुबे फोन पर सामने मौजूद शख्स से गालीगलौच के साथ कह रहा है कि कोई मुझ पर फर्जी मुकदमा लिखवा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि विकास दुबे जिस शख्स से बात कर रहा है वह चौबेपुर थाने का तत्कालीन दारोगा विनय तिवारी है।
इस बातचीत से साफ समझा जा सकता है कि हत्याकांड अचानक नहीं बल्कि पहले से नियोजित था। इसके बावजूद पुलिस विभाग ने इस बातचीत को गंभीरता से नहीं लिया। विभाग ने विकास दुबे को पहले ही इस बात की जानकारी दे दी थी कि कुख्यात अपराधी दुबे पर केस लिखा जा रहा है।
इस हत्याकांड के बाद से पुलिस विभाग में आज भी यह चर्चा बनी हुई है कि चौबेपुर एसओ विनय तिवारी मुठभेड़ में सबसे पीछे क्यों थे। यही नहीं, वह अपने साथियों को मौत के मुंह मे छोड़कर क्यों भाग गए। उनकी भूमिका शुरूआत से ही संदिग्ध मानी जा रही थी। इसके बाद पुलिस ने निलंबित एसओ विनय तिवारी को जेल भेज दिया था।
शहीद सीओ की वायरल चिट्ठी में इस बात का खुलासा हुआ था कि निलंबित चौबेपुर थानाध्यक्ष विनय तिवारी ने किस तरह से एक मुकदमे में विकास दुबे पर मेहरबानी दिखाते हुए धारा 386 को विवेचना के दौरान हटवाया था। दारोगा की हरकत से सीओ इतने आहत हुए थे कि उनको तत्कालीन एसएसपी को पत्र लिखना पड़ा था। इसके साथ ही उन्होंने इस बात की आशंका जाहिर की थी कि थानाध्यक्ष अपना रवैया नहीं बदलते हैं तो बड़ी घटना घटित हो सकती है।
रीजनल नार्थ
अपराधी विकास दुबे ने दारोगा विनय तिवारी से की थी बात