यूएस सिटीजन एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने कहा कि इस साल उसे एच-1बी वीजा के 2,01,011 आवेदन मिल चुके हैं, जो पांच प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। साथ ही अमरीकी विश्वविद्यालयों से मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री रखने वालों द्वारा भी उसे पर्याप्त संख्या में आवेदन मिल चुके हैं। आवेदन प्रक्रिया एक अप्रैल को शुरू हुई थी। केवल 42 प्रतिशत लोगों को ही एच-1वीजा मिल पाएगा क्योंकि अमरीका एक साल में केवल 85,000 लोगों को ही यह वीजा जारी करता है। अमरीका ने इस साल हालांकि मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री रखने वालों के लिए 20,000 से अधिक वीजा जारी करने के लिए नियमों में बदलाव भी किया है। पिछले साल यूएससीआईएस को 1,90,098 आवेदन मिले थे। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल आवेदन कम रह सकता है यानी भारतीय आवेदनों में गिरावट आने की उम्मीद है। एच-1बी वीजा का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाली भारतीय आईटी कम्पनियों ने आरोप लगाया है कि अमरीका से मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री रखने वालों के लिए नया कोटा अमरीकी प्रौद्योगिकी कम्पनियों के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया है। केयर रेटिंग्स की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारतीय कम्पनियों द्वारा दिए गए 49 प्रतिशत वीजा आवेदनों को खारिज कर दिया गया था और पांच शीर्ष कम्पनियों को 22,429 वीजा दिए गए थे जबकि साल 2017 में वीजा आवेदन खारिज होने का आंकड़ा 43.95 प्रतिशत था।