नई दिल्ली । दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा के प्रयोग पर शिक्षकों और अभिभावकों के साथ संवाद किया। उन्होंने दो जिलों के दो सरकारी स्कूलों में जाकर दिल्ली सरकार द्वारा कराई जा रही आॅनलाइन शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सुझाव भी मांगे। इस दौरान सिसोदिया ने पेरेंट्स टीचर मीटिंग भी अनलाइन कराने का सुझाव दिया। संवाद में अधिकांश पेरेंट्स में ऑनलाइन शिक्षा के अनुभव को काफी उपयोगी बताते हुए कहा कि शिक्षकों ने बच्चों का काफी सकारात्मक तरीके से मार्गदर्शन किया। यह संवाद एसकेवी प्रशांत विहार तथा पीतमपुरा में आयोजित हुआ।
सिसोदिया ने संवाद के दौरान कहा कि जब लॉकडाउन हुआ, तो हमने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की। उस वक्त सबको लगता था कि ऑनलाइन शिक्षा सिर्फ प्राइवेट स्कूलों में संभव है। सरकारी स्कूलों के पेरेंट्स के पास साधन नहीं हैं और टीचर्स की भी ट्रेनिंग नहीं है। लेकिन हमारे शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षकों ने नए तरीके के प्रयोग किया। पेरेंट्स और स्टूडेंट्स ने भी भरपूर साथ दिया। देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकारी स्कूलों में इतने बड़े पैमाने पर टेक्नॉलजी की सहायता से पढ़ाई की गई हो। व्हाट्सप्प के माध्यम से वर्क्शीट और जिन बच्चों के पेरेंट्स के पास व्हाट्सप्प नहीं है उन्हें स्कूल में बुलाकर अगले एक हफ्ते के लिए वर्क्शीट देना एक नायाब प्रयोग ही। इस तरह हर बच्चा पढ़ाई से जुड़ सका – वो जिसके पास स्मार्ट फोन है वो भी और जिसके पास नहीं है वो भी। इसी तरह 12 वीं के लगभग सभी बच्चे लाइव अनलाइन क्लास से जुड़ चुके हैं जो दिल्ली सरकार के टेयचर्स रोज कराते हैं। इन सभी बच्चों को स्कूलों द्वारा फोन और एमएमएस द्वारा भी मार्गदर्शन दिया जाता है।
सिसोदिया ने कहा कि हमारे लिए यह कहना बेहद आसान था कि जिनके पास साधन हों, उन्हीं के लिए अनलाइन शिक्षा है। लेकिन जिनके पास साधन नहीं, हमें उनको भी साथ लेकर चलना है। एक समय था जब धर्म और जाति के आधार पर शिक्षा मिलती थी। उसके बाद पैसे के आधार पर शिक्षा मिलने लगी। लेकिन जिसके पास एक भी पैसा न हो, उनके लिए भी हमने दिल्ली में शानदार व्यवस्था कर दी। अब ऐसा न हो जाए कि जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं, वे शिक्षा में पीछे छूट जाएं। इसीलिए हमने “सेमी-अनलाइन” शिक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया।
सिसोदिया ने कहा कि जब कोरोना महामारी आई, तो दिल्ली के स्कूलों को भी शेल्टर होम में बदलना पड़ा। हमारे शिक्षकों ने सच्चे समाज सेवकों की तरह काम किया। उन्होंने कहा कि हम काफी कठिन दौर से गुजरे हैं। लेकिन सबसे बड़ा संकट स्टूडेंट्स के लिए है। हम सब कुछ खुलने के इंतजार में हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते। हमें किसी भी तरह बच्चों की पढ़ाई का उपाय करना था और हमनें किया। सिसोदिया ने कहा कि कोरोना का वैक्सीन बन जाएगा, लेकिन शिक्षा में नुकसान की भरपाई किसी वैक्सीन से नहीं हो सकती। इसलिए हम अपने अन्य खर्च कम करके किसी भी तरह बच्चों की पढ़ाई जारी रखें। अगर पढ़ाई में नुकसान हुआ तो यह बच्चे या परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश का नुकसान होगा। हमारी समझदारी की पहचान यह है कि कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, हम अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएंगे।
सिसोदिया ने पेरेंट्स से मिले सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने अपने घर को स्कूल बना दिया, यह बड़ी बात है। क्लास रूम जैसा आनंद ऑनलाइन में नहीं मिल सकता। यह उसी तरह है जैसे कश्मीर जाने के बदले उसे फिल्म में देखना। लेकिन अगर क्लास संभव नहीं, तो ऑनलाइन के जरिए हम शिक्षा जारी रखें। मौजूदा संकट में सभी पेरेंट्स और टीचर्स को पूरी कोशिश करनी होगी कि स्टूडेंट्स के नुकसान को कम किया जाए।
सिसोदिया ने कहा कि हमने फिनलैंड में देखा कि बच्चों को फेसबुक पर असाइनमेंट दिया जाता है। बच्चे फेसबुक पर होमवर्क करते हैं। बच्चों को फेसबुक पर जाने का शौक है। अगर फेसबुक में अन्य चीजें देखने के बदले होमवर्क करें, तो एक साथ दोनों काम हो जाएगा, ऐसी सोच है। सिसोदिया ने कहा कि उस वक्त हमने सोचा नहीं था कि हम भी सोशल मीडिया से पढ़ाई कराएंगे। लेकिन आज मजबूरी में ही सही, इस प्रयोग के जरिए हमने बच्चों के नुकसान को काफी कम किया है। सिसोदिया ने कहा कि हम अपना काम अच्छी तरह करें, यही सबसे बड़ी देशभक्ति है। आप अच्छे पेरेंट बनेंगे तो बच्चे भी अच्छे नागरिक बनेंगे। उन्होंने कहा कि पहले सरकारी स्कूलों में 85 फीसदी रिजल्ट आते थे। आज पांच साल में हम 98 प्रतिशत तक पहुंच गए हैं। अब तो यह भी कम लगता है। आप सबकी मदद से हमें 100 फीसदी का प्रयास करना है। हमारे शिक्षक काफी अच्छे हैं। यह बात हर तरफ से प्रमाणित हो रही है। संवाद के दौरान शिक्षकों ने बताया कि उस स्कूल के 96 प्रतिशत स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन शिक्षा हासिल की है। शेष बच्चों से संपर्क का प्रयास किया जा रहा है। इस दौरान शिक्षकों और अभिभावकों ने विस्तार से अपने अनुभव शेयर किए। एक अभिभावक ने कहा कि स्कूल के टीचर्स ने बच्चों पर हंड्रेड परसेंट मेहनत की है।
इस दौरान हैप्पीनेस कक्षाओं को भी शिक्षकों और अभिभावकों ने काफी अच्छा अनुभव बताया। सिसोदिया ने घर पर बच्चों को मेडिटेशन कराने की सलाह देते हुए कहा कि इससे बच्चों में बेचैनी कम होगी तथा वह ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगभग 15लाख बच्चे हैं तथा अन्य सभी स्कूलों को मिलाकर दिल्ली में लगभग 42 लाख बच्चे स्कूलों में हैं। इनकी जिंदगी में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए दिल्ली सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है। संवाद के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा ध्यान रखा गया। हर जिले के विभिन्न स्कूलों में आॅनलाइन शिक्षा की समीक्षा का सिलसिला जारी रहेगा।
रीजनल नार्थ
दिल्ली सरकार के स्कूलों में चल रही ऑनलाइन, सेमी ऑनलाइन शिक्षा की समीक्षा शुरू - उपमुख्यमंत्री ने दो स्कूलों में शिक्षकों एवं पेरेंट्स से किया संवाद, फीडबैक लिया - ऑनलाइन सिर्फ प्राइवेट में क्यों, हमने सरकारी स्कूलों में कर दिखाया : सिसोदिया