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गजल सावन 

गजल सावन 

किसे मालूम था ऐसा भी सावन आयेगा
मुंह ढ़ंके हैं सब अकेले समय ऐसा आयेगा

ब्रेकिंग खबरें हैं झमाझम टूटकर बरसात होगी
ये हवा तूफान मौसम सितम कितना ढ़ायेगा

गांव जा सकते नहीं हैं बंद ट्रेने सड़क साधन
है यहां सब बन्द घर बस ख्वाब तेरा आयेगा
 
देहरी पे आकर पड़ा है सामां पिछले चार दिन से
कोरोना मिट जाये उससे तब ये खोला जायेगा

पहली फुहारें रिमझीमी सोंधी खुश्बू खेत की
मंदिरों में भक्ति वाला सावन कब फिर आयेगा    

आज भी उम्मीद है दुनियां को बस पुरुषार्थ से
बन रही हैं वैक्सीनें परचम कोई फहरायेगा
(लेखक-विवेक रंजन श्रीवास्तव)

गजल सावन 
किसे मालूम था ऐसा भी सावन आयेगा
मुंह ढ़ंके हैं सब अकेले समय ऐसा आयेगा

ब्रेकिंग खबरें हैं झमाझम टूटकर बरसात होगी
ये हवा तूफान मौसम सितम कितना ढ़ायेगा

गांव जा सकते नहीं हैं बंद ट्रेने सड़क साधन
है यहां सब बन्द घर बस ख्वाब तेरा आयेगा
 
देहरी पे आकर पड़ा है सामां पिछले चार दिन से
कोरोना मिट जाये उससे तब ये खोला जायेगा

पहली फुहारें रिमझीमी सोंधी खुश्बू खेत की
मंदिरों में भक्ति वाला सावन कब फिर आयेगा    

आज भी उम्मीद है दुनियां को बस पुरुषार्थ से
बन रही हैं वैक्सीनें परचम कोई फहरायेगा
(लेखक-विवेक रंजन श्रीवास्तव)

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