नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस अब धुंधले वीडियो फुटेज और फोटो होने के बाद भी संदिग्धों की पहचान कर पाएगी। साइबर सेल ने इन वीडियो और फोटो को साफ करने वाले ‘क्लीयिरंग सॉफ्टवेयर’ खरीदे हैं। इसके जरिए संदिग्धों की पहचान करना आसान हो जाएगा। साइबर सेल की इनवेस्टिगेशन टूल का हिस्सा बना यह सॉफ्टवेयर अमेरिका से मंगाया गया है। दिल्ली की साइबर सेल यूनिट इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाली देश की पहली पुलिस बन गई है।अब तक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों की एजेंसियां ही कर रही हैं। इसका इस्तेमाल इन देशों के सुरक्षा, आर्थिक व सामरिक महत्व के बेहद संवेदनशील ठिकानों पर संदिग्धों की पहचान के लिए किया जाता है। हालांकि अब इसका दायरा बढ़ाकर भीड़भाड़ वाले सार्वजिनक स्थानों पर आने वाले संदिग्धों की पहचान के लिए किया जाने लगा है। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से जांच एजेंसियों को संदिग्धों तक पहुंचने में आसानी होगी। दरअसल, कई बार सीसीवीटी में फुटेज तो होती है, लेकिन वह बेहद धुंधली होती है। इसी तरह से संदिग्ध जिस वाहन में सवार होकर आता है, उस वाहन का कई बार नंबर साफ नहीं आ पाता है। ऐसे में जांच एजेंसियों को संदिग्ध तक पहुंचना कठिन हो जाता था। इन धुंधली फुटेज व फोटो को क्लीयर करने वाले सॉफ्टवेयर की पुलिस को जरूरत महसूस हो रही थी। इस सॉफ़्टवेयर की खासियत है कि यह धुंधली तस्वीर या फोटो को एकदम साफ कर देता है। अगर चेहरा ब्लर है तो उसे साफ कर बेहतरीन हाई रिजलूशन वाले चेहरे में तब्दील कर देता है। इसी तरह से अगर कोई गाड़ी नंबर साफ नहीं आ पाया है तो उसे भी ठीक इसी प्रकार से साफ कर हाई रिजलूशन वाला बना देता है। चेहरा और वाहन नंबर की पहचान होते ही संदिग्ध को पकड़ना आसान हो जाएगा।
लीगल
धुंधली फोटो या वीडियो होने के बाद भी अब बच नहीं पाएंगे अपराधी