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कोरोना लाँकडाउन में अवसाद की समस्या बढ़ी 

कोरोना लाँकडाउन में अवसाद की समस्या बढ़ी 

वर्तमान में युवा पीढ़ी तीव्रता से अवसाद ग्रस्त होती जा रही है। अवसाद को हम अंग्रेजी में डिप्रेशन कहते है। भारत ही नहीं दुनिया में अवसाद की बीमारी जोर शोर से बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दुनिया में पोलियो, रक्ताल्पता, नेत्रहीनता, कुष्ठ, टीबी, मलेरिया, एड्स जैसी जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिये सक्रियता से प्रयास किये है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सन 2017 में अवसाद को मुख्य लक्ष्य बनाया। भारत ही नहीं सारी दुनिया में अवसाद की बीमारी तेजी से फैल रही है तथा इस बीमारी से सारी दुनिया चिन्तित है।
भारत में वैश्विक कोरोना महामारी से वचाव हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लगाये देश व्यापी लाँकडाउन में अवसाद की समस्या में वृद्धि की बात सामने आई है। दिल्ली निवासी अजय कुमार जैन अधिवक्ता के साथ अर्हम  ध्यान योग के प्रशिक्षक भी हैं। आपने बताया भारत में कोरोना महामारी से अवसाद की समस्या मे तीव्र गति से वृद्धि हुई है। जब से लाँकडाउन लगा है तब से घरों में यह पाया गया है कि वहुत से लोगों को एक नहीं अनेक समस्याओं का सामना पड़ा। यह असुविधा घरों में रहते रहते शारीरिक न होकर मानसिक ज्यादा है अर्थात अनिद्रा, बेचैनी, एंग्जाइटी, डिप्रेशन, गुस्सा, चिड़चिड़ापन आदि आना इस प्रकार की अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आपने बताया उपरोक्त मानसिक समस्याओं के कारण अनेक व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जा रही है। रक्तचाप अनियमित हो रहा है। डायबिटीज का स्तर बढ़ रहा है। इन समस्याओं के कारण अवसाद की समस्या बढ़ रही है। इन समस्याओं की जानकारी मिलने पर योग प्रशिक्षक अजय कुमार जैन ने अपने गुरु जैनाचार्य विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि प्रणम्य सागर जी महाराज से मार्गदर्शन प्राप्त कर आँनलाइन अर्हम ध्यान योग शिविर आयोजित किये। इन शिविरों के माध्यम से व्यक्तियों को अवसाद से उभारा हैं।
वर्तमान में हम देख रहे हैं पुरुषों एवं महिलाओं की अपेक्षा किशोर व युवा ज्यादातर अवसादग्रस्त हो रहे हैं। अवसाद किस कारण से होता है यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया जा सकता।
मगर माना जाता है इसमें अनेक कारणों की मुख्य भूमिका रहती है। हमने उन कारणों को भी जानने का प्रयास किया है अकेलापन, नींद नहीं आती है या ज्यादा आती है, बेरोजगारी, बित्तीय समस्या, वैवाहिक या अन्य रिश्तों में खटास, शराब या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन का सेवन करना, कार्य का अधिक बोझ, भोजन की अनियमितता।     
वर्तमान में अधिकतर किशोर जिनकी आयु 12 से 18 वर्ष के बीच होती है ऐसे किशोर अवसादग्रस्त ज्यादा मिल रहे हैं। किशोरावस्था में अत्यधिक चिड़चिड़ापन अवसाद का सबसे बढ़ा लक्षण होता है। इस आयु में इस बीमारी से ग्रसित युवक आसानी से क्रोधित हो सकता है। दूसरों से अशोभनीय व्यवहार कर सकता है। बच्चों पर माता पिता द्वारा पढ़ाई के लिये डाला गया दवाव और दूसरों से स्वयं का आकलन कम करने से भी किशोरों में डिप्रेशन अथवा अवसाद आने के प्रमुख कारण हैं।
जैन मुनि सुधासागर जी महाराज से अवसाद समस्या पर चर्चा हुई उनसे उचित मार्गदर्शन लेने का मैंने प्रयास किया। आपका कहना है वर्तमान में सहशिक्षा और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से युवा पीढ़ी में भटकाव आ रहा है। आपका कहना है वर्तमान में माता पिता अपनी इच्छा थोपकर वच्चों की पढ़ाई कराना चाहते हैं।
हमारा प्रयास होना चाहिए अगर वच्चे में डाँक्टर बनने की योग्यता नहीं है तो उसे एम बी बी एस की कोचिंग करने मजबूर न कर उसकी पसंद का व्यापार कराना चाहिए। वचपन से ही हमें संतान को भारतीय संस्कृति और संस्कारों  की शिक्षा देना चाहिए।                    
आचार्य विद्या सागर जी महाराज की आज्ञानुवर्ती शिष्या आर्यिका रत्न अनंत मती माता जी ने सन 2017 में महाबीर जयंती के पावन अवसर पर राघौगढ़ में युवा पीढ़ी को संकल्प दिलाया, पाश्चात्य संस्कृति का अनुशरण नहीं करेंगे,
भारतीय संस्कृति की रक्षा करेंगे प्रेम विवाह, अन्तर्जातीय विवाह और विधवा विवाह जीवन में कभी नहीं करेंगे। आपने कहा जैन धर्म में पांच पाप हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह का उल्लेख है। ये पांच पाप ही दुनिया में अशांति और युवा पीढ़ी में अवसाद के प्रमुख कारण हैं। अनंत मती का कहना है विश्व शांति और अवसाद से बचने भगवान महाबीर द्वारा प्रतिपादित पांच अणुव्रत अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के अनुशरण की आवश्यकता है। आपने कहा विश्व शांति के लिये आज अणुबम नहीं अणुव्रत की आवश्यकता है।
(लेखक-विजय कुमार जैन )

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