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भोजन को भी कैसे रखे विषाणु मुक्त !  

भोजन को भी कैसे रखे विषाणु मुक्त !  

यह विषय बहुत सामान्य हैं पर भी इसकी जानकारियां देना आवश्यक होता हैं। क्योकि  भोजन, पानी, हवा, वातावरण  के साथ समुचित तरीके से भोजन का रखरखाव हमारे लिए जहर का भी काम कर सकता हैं। कई बार छोटी छोटी चूक बहुत हानिकारक होती हैं। एक बात यहाँ बताना जरुरी हैं कि हमारी भोजन शाला या रसोई घर उतना शुद्ध होना चाहिए जितना ऑपरेशन कक्ष होता हैं। बहुत कुछ संक्रमण रसोई घर में उपयोग करने वाले कपडे जिसको पौछा कहते हैं ,सामान्य रूप में होटल में टेबल साफ़ करने वाला कपडा और उसी से प्लेट, थाली, चम्मच की  सफाई की जाती हैं। इसी प्रकार चाकू, फ्रिज का हैंडल भी संक्रमित अधिक होते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को कोरोना महामारी के दौरान हेल्दी कुकिंग और सुरक्षित भोजन खाने की सलाह दी है।
कोरोना महामारी के कारण जहां लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का पालन करना पड़ रहता है। वहीं, खुद को इस जानलेवा वायरस  की चपेट में आने से बचाने के लिए भी निरंतर प्रयास करने पड़ रहे हैं। इसी दिशा में विश्व  स्वास्थ्य संगठन भी हर तरीके से लोगों को जागरूक करने और उन्हें इस इंफेक्शन से बचने में मदद के लिए प्रयास कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को कोरोना महामारी के दौरान सुरक्षित भोजन खाने की सलाह भी दी है। गौरतलब है कि, बरसात का मौसम शुरु हो गया है और इस मौसम में फूड पॉयजनिंग  से जुड़ी समस्याएं बहुत अधिक देखी जाती हैं। ऐसे में प्रदूषित भोजन खाने से बीमारियों का ख़तरा और अधिक बढ़ जाता है। 
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने बताया है कि, फ्रिज में खाना स्टोर करने का सही तरीका क्या है।  फ्रिज में रखे खाद्य पदार्थों को वायरस, फंगस और बैक्टेरिया से बचाने के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए।  स्टोर करके रखे गए भोजन में आमतौर पर 3 प्रकार के माइक्रोऑर्गेनिज़्म होते हैं। जो हैं, बैक्टीरिया, वायरस और फंगस।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, सबसे पहले होने वाले माइक्रोऑर्गेनिज़्म आपके भोजन का स्वाद बढ़ाने और उसकी पौष्टिकता बढ़ाने का कार्य करते हैं। जबकि, दूसरे स्तर के माइक्रोऑर्गेनिज़्म भोजन का स्वाद बर्बाद कर देते हैं। जिससे, भोजन से बदबू आने लगती है। तो वहीं, माइक्रोऑर्गेनिज़्म का तीसरा प्रकार वह है, जिसमें, भोजन का स्वाद और महक, कुछ भी समझ नहीं आती।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ,तीसरे प्रकार के माइक्रोऑर्गेनिज़म जिन्हें पैथोजेनिक माइक्रोऑर्गेनिज़म के नाम से भी जाना जता है। उनसे, सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। दरअसल, भोजन के माध्यम से जब ये माइक्रोऑर्गेनिज़्म पेट में पहुंचते हैं। तो, उससे कई प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं। उल्टी, पेट दर्द, लूज मोशन, डायरिया और बुखार जैसी समस्याएं प्रदूषित भोजन की वजह से होने वाली सबसे सामान्य  बीमारियां है।
इस तरह का माइक्रोऑर्गेनिज़्म तेज़ी से पनपना और बढ़ता है। यह तेज़ी से शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है। जिससे, वहां भी परेशानियां दिख सकती हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक पैथोजेनिक माइक्रोऑर्गेनिज़म काफी नुकसानदायक होते हैं पर, राहत भरी बात यह है कि कुछ बातों का ख्याल रखकर इनसे बचा भी जा सकता है।
ऐसे रखें भोजन को सुरक्षित
भोजन को छूने से पहले हाथों को पानी और साबुन से साफ करें।
खाना स्टोर करते समय, कच्चा और पका हुई चीज़ें एक-दूसरे से दूर रखें।
कूकिंग के समय ध्यान रखे कि, भोजन अच्छी तरह पका हुआ हो।
खाना हमेशा सही तापमान पर ही स्टोर करें।
पैकेटबंद फूड्स को स्टोर करते समय उनका लेबल पढ़कर ही उनको सही स्थान पर रखें। जिससे, उन्हें ख़राब होने से बचाया जा सके।
भोजन पकाने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें।
बहुत दिनों से स्टोर करके रखी गयी चीज़ों का सेवन करने से बचें।
पांच ऍफ़ से सबसे अधिक संक्रमण होने के अवसर मिलता हैं --- जैसे मख्खियां, भोजन, ऊँगली, मल, जल
इन बातों को सामान्य न मानकर बहुत उपयोगी हैं जिससे आप सुरक्षित रह सकेंगे।
(लेखक-डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )

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