पटना। चीफ लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में राजद पहली बार बिहार में अपने दम पर 2020 का विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। यही कारण है कि लॉकडाउन के शुरू के दो माह के बाद से तेजस्वी यादव कोरोना संक्रमण की परवाह किए बगैर न केवल दिन-रात आम लोगों से मिल रहे हैं बल्कि सरकार पर हमला का कोई भी अवसर नहीं छोड़ रहे। साथ ही उन्होंने राजद के सीनियर नेताओं को कार्यकर्ताओं को ‘चार्ज’ करने की जिम्मेवारी दी है। तेजस्वी जानते हैं कि इस बार का चुनाव जीत-हार ही नहीं बल्कि उनका राजनीतिक अस्तित्व भी तय करेगा। हार गए तो दोबारा पांव जमाना आसान नहीं होगा। इसका उदाहरण है राजद की एक वर्चुअल बैठक, जिसमें उन्होंने साफ कहा कि चुनाव में समय कम है और काम ज्यादा है। ऐसे में हमें अपने को सप्ताह भर के अंदर ढीले पड़े कल-पुर्जे को दुरुस्त कर लेना होगा और चुनाव मैदान में उतर जाना होगा।
राजद प्रवक्ता भाई वीरेंद्र कहते हैं कि 8000 से ज्यादा पंचायतों में पार्टी का सांगठनिक ढांचा है। हम उसे सक्रिय करने में लगे हुए हैं। हम अपने इस नेटवर्क के माध्यम से सरकार की 15 सालों की विफलताओं को लेकर जाएंगे और बताएंगे कि कैसे 15 सालों में बिहार का बंटाधार हुआ है। पार्टी की रणनीति है कि भ्रष्टाचार, अपराध के साथ-साथ कोरोना और बाढ़ को गांव-गांव में मुद्दा बनाया जाए। कोरोना काल में मजदूरों के पीड़ादायक वीडियो और संक्रमित मरीजों के इलाज का वीडियो लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा वायरल किया जाए, ताकि लड़ाई आसान हो जाए। इसके लिए पार्टी ने अपनी जिला स्तरीय कमेटी को तकनीक से लैस कर लिया है। पार्टी के जिला से प्रखंड तक के सभी पदाधिकारियों को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने को कहा गया है। जिले से लेकर प्रखंड तक के कार्यकर्ताओं को वाट्सएप ग्रुप बनवाया गया है। ताकि पार्टी अध्यक्ष व वरिष्ठ नेताओं द्वारा किसी मुद्दे पर रखने जाने वाले विचारों को तुरंत आगे फारवर्ड किया जा सके।
एनडीए मजबूत न हो इसलिए महागठबंधन को बचाए रखने की कवायद:
महागठबंधन के बाद भी राजद जानता है कि चुनाव मैदान में उसे अकेले ही लड़ना है और टीम को साथ लेकर चलना भी है। टीम के साथ रहने से बहुत लाभ तो नहीं है, लेकिन टीम टूट गई तो एनडीए मजबूत जरूर हो जाएगा। यही कारण है कि तेजस्वी को इसके लिए दो मोर्चे पर लड़ना पड़ रहा है। पहला भाजपा-जदयू की संयुक्त ताकत और आम लोगों के बीच नीतीश कुमार की इमेज और दूसरा महागठबंधन में सहयोगी दलों की महत्वाकांक्षा। तेजस्वी जानते हैं कि एनडीए के तकनीकी सेल के आगे टिकना कठिन है, इसलिए महागठबंधन में सीटों को लेकर उछल-कूद करने वाले साथियों को साफ कर दिया है कि बिहार में राजद लीड की भूमिका में रहेगा और सीटों का बंटवारा भी महागठबंधन में साथी दलों को उनकी हैसियत के अनुसार किया जाएगा। क्योंकि बड़ा वोट बैंक राजद के पास है। इसका सहयोगी दलों को लाभ भी होता है। ऐसे में जिसे यह शर्त पसंद नहीं है उनके सामने विकल्प खुले हैं। महागठबंधन में राजद लीड भूमिका में रहेगा। कांग्रेस दूसरे स्थान पर और अन्य दलों को उनकी हैसियत के अनुसार टिकट दिए जाएंगे। तेजस्वी के इस दो टूक पर पहले तो महागठबंधन में सहयोगी दलों ने आना-कानी की, लेकिन कांग्रेस का साथ नहीं मिलने पर वे अब तेजस्वी की बात मानने को तैयार हैं।