नई दिल्ली । दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय डीयू के कॉलेजों में कर्मचारियों को वेतन नहीं देने पर भड़क गए। सिसोदिया ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि सरकार ने पिछले पांच साल में डीयू के कॉलेजों का बजट 70 फीसदी बढ़ाया है। इसके बावजूद कॉलेजों का अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं देना गलत है। उन्होंने दावा किया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 243 करोड़ रुपये के बजट में से 56.25 करोड़ रुपये बजट का करीब 23 फीसदी हिस्सा जुलाई तक ही जारी किया जा चुका है। फिर भी डीयू के कॉलेज अप्रैल, मई और जून के लिए वेतन का भुगतान करने में सक्षम क्यों नहीं हैं? मनीष सिसोदिया ने कहा कि डीयू के कॉलेजों के अलावा कई विश्वविद्यालयों को भी दिल्ली सरकार फंड देती है। ये शिक्षा विभाग के तहत आते हैं। उनके यहां से कभी भी फंड की कमी होने या अपने कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ होने की बात सुनने को नहीं मिलती। डिप्टी सीएम सिसोदिया ने कहा कि बजट आवंटन में 70 फीसदी इजाफा होने के बावजूद दिल्ली सरकार के वित्तपोषित डीयू कॉलेजों का वेतन देने में असमर्थ होना भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। उन्होंने यह भी कहा कि डीयू कॉलेजों के प्रशासन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। भ्रष्टाचार के कारण ये कॉलेज गवर्निंग बॉडी बनाने में भी देर कर रहे हैं और दिल्ली सरकार की ओर से मनोनित सदस्यों को शामिल करने से भी कतरा रहे हैं। सिसोदिया ने इसे लेकर पिछले महीने डीयू के कुलपति को पत्र लिखने की जानकारी दी और कहा कि अब तक उसका कोई जवाब नहीं मिला है दिल्ली सरकार ने डीयू के कॉलेजों को आवंटित बजट से संबंधित पिछले पांच साल के आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2014-15 में डीयू के कॉलेजों का बजट 144.39 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2019-20 में 242.64 और 2020-21 में 243 करोड़ रुपये कर दिया गया। पिछले दो साल में ही फंड आवंटन में 27 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया है।
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डीयू पर सिसोदिया का पलटवार