जम्मू । जम्मू कश्मीर में प्रमुख आतंकी चेहरों को मौत के घाट उतारने के बाद अब आतंकवाद के मूल स्रोत पर प्रहार की कोशिश शुरू गई गई है। जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि आतंकियो को पैसा देने वाले, उनका पोस्टर लगाने वाले, लॉजिस्टिक समर्थन देने वाले और उनका संदेश पहुंचाकर धमकाने वालो पर जबरदस्त कार्रवाई की जा रही है। वैचारिक जहर घोलने वाले जमात के स्कूलों पर भी पुलिस प्रशासन की निगाह है। डीजीपी ने कहा, एक साल के दौरान पुलिस की गोली से एक भी नागरिक की मौत नही हुई है। लेकिन इस साल अभी तके 150 आतंकी मारे गए। आतंक और उनके आकाओ की बुनियाद पर चोट की जा रही है। जिससे वे सिर न उठा सकें। डीजीपी ने कहा, एक तरफ घाटी में सक्रिय आतंकियो का नेटवर्क तोड़ने में कामयाबी मिली है। वहीं बॉर्डर ग्रिड मजबूत होने की वजह से घुसपैठ रोकने में कामयाबी मिली है। इसलिए पाकिस्तान की घाटी में करीब 350 आतंकियों का क्रिटिकल नम्बर बनाये रखने की कोशिश सफल नही हुई है। डीजीपी ने कहा, धारा 370 समाप्त होने के बाद करीब 5 - 6 हजार लोगों को पुलिस ने उठा लिया था। अच्छे व्यवहार का बांड भरने वालों को छोड़ दिया गया। कभी भी 1000 - 1200 से ज्यादा लोग हिरासत में नही रहे। लेकिन संख्या को लेकर अफवाह फैलाई जाती रही। इस समय 560 लोग ही अंदर है। ये वे लोग हैं जिनका आतंक को मदद करने में किसी न किसी तरह से नाता है। इनमें से करीब 150 हुर्रियत के हैं। पिछले साल अगस्त महीने तक 160 आतंकी मारे गए थे। इस साल अभी तक 150 आतंकी मारे गए हैं। इनमें से 30 विदेशी आतंकी हैं। लगभग सभी आतंकी संगठन घाटी में नेतृत्व विहीन हैं। पाकिस्तान ने दो आतंकियो को हुर्रियत का चेहरा बनाने का प्रयास किया दोनो को पकड़ लिया गया। आतंकी बनने वालों को 90 दिन के भीतर ढेर किया डीजीपी का कहना है कि सघन अभियान की वजह से आजकल आतंकी संगठनों में भर्ती होने वालों की लाइफ एक दिन से 90 दिन के बीच होती है है। जबकि वे पहले लंबे समय तके अपनी गतिविधि चलाते थे। इसके चलते स्थानीय भर्ती का ग्राफ गिरा है। इस साल करीब 80 लड़के आतंकी संगठन में भर्ती हुए। इनमें से 38 मार दिए गए। जबकि 22 को पकड़कर परिवार वालो से मिलवाया। अगर सुधरना चाहते हैं तो हम उन्हें मौका देंगे। अभी नई भर्ती में से 20 सक्रिय हैं। बॉर्डर ग्रिड मजबूत होने से करीब आधा दर्जन इनकाउंटर सीमा पर हुए हैं। इस साल अभी तक 26 आतंकियो ने घुसपैठ में कामयाबी पाई है। जबकि पिछले साल ये संख्या दूनी थी।
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जम्मू-कश्मीर घाटी में आतंक के स्रोत को खत्म करने की मुहिम