नई दिल्ली । दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकार द्वारा 70 प्रतिशत बजट में वृद्धि करने के बावजूद अपने कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थता व्यक्त करने पर दिल्ली सरकार के वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के प्रति गुरुवार को कड़ा ऐतराज जताया। उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में बजट आवंटन में 70 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित डीयू कॉलेजों की वेतन देने में असमर्थता भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। उन्होंने यह भी कहा कि डीयू कॉलेजों के प्रशासन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। सिसोदिया ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण ये कॉलेज गवर्निंग बाॅडी बनाने में देर कर रहे हैं और दिल्ली सरकार मनोनित सदस्यों को लेने से इन्कार कर रहे हैं। उन्होंने पिछले महीने डीयू के कुलपति को इन भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में लिखा था, लेकिन उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
दिल्ली सरकार ने 2014-15 में डीयू के कॉलेजों के बजट को 144.39 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2019-20 में 242.64 करोड़ रुपये और 2020-21 में 243 करोड़ रुपये कर दिया है। पांच वर्षों में बजट आवंटन में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद, डीयू बजट की कमी की शिकायत कर रहा है। डीयू का पिछले साल (2019-20) का 242.64 रुपये का बजट उनके सभी खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त था, पिछले साल (2018-19) का बजट 216.13 करोड़ रुपये उनके खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त था। पिछले दो वर्षों में 27 करोड़ रुपये के फंड आवंटन में वृद्धि के बावजूद डीयू क्यों कह रहा है कि बजट पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि 2020-21 के लिए 243 करोड़ रुपये के बजट में से, 56.25 करोड़ रुपये (बजट का करीब 23 प्रतिशत) पहले ही जुलाई 2020 के अंत तक जारी किए जा चुके हैं। इसलिए डीयू कॉलेज अप्रैल, मई और जून के लिए वेतन का भुगतान करने में सक्षम क्यों नहीं हैं। डीयू काॅलेजों के अलावा, दिल्ली सरकार और भी कई विश्वविद्यालयों को फंड प्रदान करती है, जो सीधे सरकार के शिक्षा विभाग के प्रशासन के अंतर्गत आते हैं। हम कभी भी उनके यहां फंड की कमी होने या अपने कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ होने की बात नहीं सुनते हैं। सिसोदिया ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में बजट आवंटन में 70 प्रतिशत वृद्धि के बावजूद कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित डीयू कॉलेजों की अक्षमता भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। कारण स्पष्ट है कि डीयू के काॅलेज प्रशासन में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। इसीलिए वे भ्रष्टाचार के कारण गवर्निंग बाॅडी बनाने में देर कर रहे हैं और दिल्ली सरकार मनोनित सदस्यों को लेने से इन्कार कर रहे हैं। उन्होंने पिछले महीने डीयू के कुलपति को इन भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में लिखा था, लेकिन उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
- दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित डीयू कॉलेजों को प्रदान किए गए बजट का विवरण
2012-13 - 121.82 करोड़ रुपये
2013-14 - 140.65 करोड़ रुपये
2014-15 - 144.39 करोड़ रुपये
2015-16 - 181.94 करोड़ रुपये
2016-17 - 197 करोड़ रुपये
2017-18 - 214.78 करोड़ रुपये
2018-19 - 216.13 करोड़ रुपये
2019-20 - रुपये 242.64 करोड़
2020-21 - 243 करोड़ रुपये