नई दिल्ली । लंबे समय तक संक्रमण के खतरे को देखते हुए कोरोना की नई और आसान जांच शुरू करने के लिए दिल्ली में 10,022 लोगों के सैंपल लेकर शोध किया जा रहा है। इस शोध का मकसद सांस के जरिए फूंक मारकर कोरोना की सटीक जांच तैयार करना और आवाज से भी कोरोना के संदिग्धों का पता लगाना है। इजरायल के सहयोग से भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ की द्वारा दिल्ली के तीन अलग अलग अस्पतालों में मरीजों के सैंपल लेकर यह शोध किया जा रहा है। 6 अगस्त तक 10 हजार से अधिक लोगों के सैंपल लिए गए हैं। इनमें सर गंगाराम अस्पताल से सबसे अधिक 3232 लोगों के सैंपल लिए गए हैं। इसके नतीजे एक महीने में जारी होंगे। यह शोध सफल रहा तो आने वाले समय में सांस के जरिये और आवाज के जरिये कोरोना संक्रमण का 30 से 40 सेकंड में पता लगाया जा सकेगा। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इस शोध से जुड़े वरिष्ठ डॉक्टर देशदीपक ने बताया कि कोरोना के लिए अभी तक आरटी-पीसीआर जांच को ही सबसे सटीक जांच माना जाता है। दिल्ली के चार अस्पतालों में 4 नई जांच तकनीक के बारे में यह पता लगाया जा रहा है कि ये जांच तकनीक कोरोना का पता लगाने में कितनी सटीक हैं। 10 हजार लोगों पर इन नई तकनीकों के जांच परिणामों के अलावा आरटीपीसीआर तरीके से भी कोरोना की जांच की गई है। इसमें आरटीपीसीआर जांच के नतीजे से नई तकनीक के नतीजों की तुलना की जाएगी और फिर देखा जाएगा कि इनके परिणाम कितने सटीक हैं। कोरोना अभी लंबे समय तक रहेगा ऐसे में हमें कोरोना के जांच के लिए ऐसी नई जांच तकनीक तैयार करनी होगी जो आसानी से सांस के जरिये भी एक मिनट से कम समय में संक्रमण का पता लगा ले। यह तकनीक विकसित तो हो गई है अब एक महीने में पता चलेगा कि इसके नतीजे कितने सटीक हैं।
रीजनल नार्थ
कोरोना संदिग्धों का लगाया जाएगा पता दिल्ली में हो रहा शोध