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नार्थ

 इस बार सादगी से मनेगा दिल्ली के मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव

 इस बार सादगी से मनेगा दिल्ली के मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव

नई दिल्ली । राजधानी में जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई। मगर कोरोना संक्रमण का असर जन्माष्टमी पर पड़ता नजर आ रहा है। इस बार मंदिरों में सादगी के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। मंदिरों में ज्यादा भीड़ जमा न हो, इसलिए कुछ जगह श्रद्धालुओं को ऑनलाइन दर्शन कराने की तैयारियां भी चल रही है। ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित इस्कॉन मंदिर के राष्ट्रीय संपर्क निदेशक बृजेंद्र नंदन दास ने बताया कि कोरोना के कारण इस बार का कृष्ण जन्मोत्सव बिल्कुल अलग होगा। मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम और झांकियां नहीं होंगी। विदेशी फूलों की जगह मंदिर परिसर को देसी फूलों से सजाया जाएगा। हम सादगी के साथ कृष्ण जन्मोत्सव को मनाएंगे। भगवान कृष्ण को 501 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। मंदिर में केवल आमंत्रित श्रद्धालुओं को बुलाया जाएगा। साथ ही श्रद्धालु ऑनलाइन माध्यम से भगवान के दर्शन कर सकेंगे। भगवान कृष्ण के लिए यूपी के वृंदावन से पोशाक तैयार करवाई जा रही है। मंदिर को भक्तगणों द्वारा ही सजाया जाएगा। कोरोना के चलते मजदूरों को नहीं बुलाया जा रहा है। 12 अगस्त की रात को भगवान का महाभिषेक और महाआरती की जाएगी। कोरोना के चलते मंदिर में श्रद्धालु भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे, क्योंकि इस्कॉन मंदिर में दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है। मंदिर परिसर में भीड़ जमा न हो, उसके मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।  लक्ष्मी नारायण मंदिर,बिरला मंदिर के प्रशासक विनोद मिश्रा ने बताया कि मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर लाइटिंग की जा रही है। कोरोना के कारण सादगी के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान के दर्शन के लिए आम श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाएगा। सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर सकेंगे।  झंडे वाला देवी मंदिर के मीडिया प्रभारी नंद किशोर सेठी ने बताया कि मंदिर में 12 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस बार तस्वीर थोड़ी अलग होगी। भगवान कृष्ण की लीला को लेकर चार झाकियां तैयार करवाई जा रही हैं। मंदिर में छोटे बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के प्रवेश पर रोक रहेगी। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सामाजिक दूरी का पालन करना होगा। मंदिर के सेवादार भजन-कीर्तन करेंगे। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया जाएगा।
 

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