कोझिकोड । केरल के कोझिकोड के एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस बोइंग-737 के मलबे, कॉकपिट कंट्रोल पैनल, एयरक्राफ्ट इंजन को देखकर अब यह पड़ताल की जा रही है कि हादसे से पहले पायलट्स ने टेकऑफ या गो-अराउंड की कोशिश की होगी। हालांकि यह अभी आंकलन ही है। डिटेल्स जांच रिपोर्ट के बाद सामने आएगी। विमानन के एक सोर्स ने बताया, 'कॉकपिट के अवशेष में थ्रॉटल लीवर फॉरवर्ड पोजिशन में नजर आया, जो कि टेकऑफ/गो-अराउंड पोजिशन है। स्पीड ब्रेक लीवर की पोजिशन से स्पॉइलर्स को पीछे की तरफ था। जबकि अगर कोई एयरक्राफ्ट टचडाउन के बाद रुकने की कोशिश करता है तो स्पॉइलर्स फ्लैप खुले रहने चाहिए।'
प्लेन की विंग्स पर ऊपर की तरफ लगे पैनल को स्पॉइलर्स कहा जाता है। इसका इस्तेमाल प्लेन की स्पीड को बढ़ाने और घटाने में किया जाता है। हालांकि फ्लैप्स (विंग के किनारे पर लगा पैनल, जिसका इस्तेमाल लिफ्ट को बढ़ाने में किया जाता है) अभी भी लैंडिंग पोजिशन्स में थी। एक इंजिनियर के अनुसार इस बात की संभावना है कि अंतिम समय में टेक ऑफ की कोशिश के वक्त पायलट्स फ्लैप को सही स्थिति में करना भूल गए हों। हादसे की जांच रिपोर्ट में अगर यह खुलासा हो जाता है कि टचडाउन होने के बाद ब्रेक भी लगाने के बाद पायलट्स ने टेक ऑफ की कोशिश की, तो फिर 2010 में मेंगलुरु में हुए हादसे के साथ कई सारी समानताएं हो जाएंगी। दोनों ही हादसों में टेबलटॉप रनवे पर टचडाउन के बाद पायलट्स के ऐक्शन करीब एक जैसे ही रहे।
मेंगलुरु हादसे की तरह यहां हादसे के बाद विमान में आग नहीं लगी। ऐसा माना जा रहा है कि पायलट्स ने फ्यूल सप्लाई को बंद कर दिया होगा। हालांकि तस्वीरों में स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है। गनीमत की बात यह भी रही कि कोझिकोड हादसे में विमान 35-40 फीट की गहराई में ही गिरा। वहीं 10 साल पहले मेंगलुरु हादसे में एयरक्राफ्ट 300 फीट गहरी खाई में गिर गया था। इस वजह से मृतकों की संख्या कम रही। विशेषज्ञों के अनुसार इस हादसे की जांच रिपोर्ट में जो भी खुलासा हो, लेकिन लैंडिंग के फाइनल फेज में सतर्कता महत्वपूर्ण है। लैंडिंग में एयरक्राफ्ट रनवे थ्रेशहोल्ड को 15 सेकंड से भी कम समय में पूरा करता है। विमान रनवे की सतह से ठीक ऊपर रहता है और फिर स्मूथ टचडाउन की प्रक्रिया होती है। इस दौरान ब्रेक लगाने की क्रमवार प्रक्रिया भी होती है, जिससे कि विमान रनवे के अंत में हाल्ट पर आ जाए।
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लैंडिंग के समय पायलट्स ने की थी टेकऑफ की कोशिश? कम गहरी खाई के कारण बची कई यात्रियों की जान